लाल बहादुर शास्त्री की प्रेरणा से बनी ‘उपकार’, शिरडी के साईं बाबा को किया स्थापित — बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे मनोज कुमार

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समग्र समाचार सेवा
मुंबई,5 अप्रैल।
भारतीय सिनेमा के इतिहास में देशभक्ति की भावना को जन-जन तक पहुंचाने वाले अभिनेता, निर्देशक और लेखक मनोज कुमार एक ऐसा नाम हैं, जिन्होंने न सिर्फ पर्दे पर अभिनय किया, बल्कि अपनी फिल्मों के माध्यम से समाज और राष्ट्र निर्माण में भी अहम भूमिका निभाई। उन्हें ‘भारत कुमार’ कहे जाने का गौरव भी इसी योगदान के लिए मिला।

वर्ष 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने देशवासियों से ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा देकर देशभक्ति और आत्मनिर्भरता की भावना को जागृत किया। उसी समय मनोज कुमार को शास्त्री जी ने सुझाव दिया कि वह इस नारे को लेकर एक फिल्म बनाएं जो आम जनमानस तक इसका संदेश पहुंचाए।

मनोज कुमार ने इस विचार को आत्मसात किया और परिणामस्वरूप बनी ‘उपकार’ (1967) — एक ऐसी फिल्म जिसने न केवल दर्शकों के दिलों में जगह बनाई, बल्कि उस दौर के समाज और राजनीति को भी गहराई से प्रभावित किया। फिल्म में उन्होंने एक ऐसे किसान का किरदार निभाया, जो युद्ध में जवान बनकर देश की रक्षा करता है और फिर खेतों की सेवा करता है।

‘उपकार’ ने राष्ट्रीय एकता, सैनिकों के बलिदान और किसानों की मेहनत को केंद्र में रखते हुए भारतीय सिनेमा में देशभक्ति की एक नई लहर पैदा की।

मनोज कुमार का धार्मिक पक्ष भी कम प्रेरणादायक नहीं था। फिल्मों के साथ-साथ उन्होंने अध्यात्म और आस्था को भी जीवन का आधार बनाया। शिरडी के साईं बाबा के प्रति उनकी गहरी आस्था थी। उन्होंने शिरडी में साईं बाबा की एक मूर्ति की स्थापना में भी अहम भूमिका निभाई, जो आज भी भक्तों की आस्था का केंद्र है। यह पहल उनके आध्यात्मिक जुड़ाव और समाज सेवा के प्रति समर्पण को दर्शाती है।

पूरब और पश्चिम’, ‘क्रांति’, ‘रोटी कपड़ा और मकान’ जैसी फिल्मों में उन्होंने आम भारतीय की पीड़ा, संघर्ष और स्वाभिमान को स्वर दिया। मनोज कुमार ने फिल्मों को महज मनोरंजन का माध्यम न मानकर, एक सामाजिक और राष्ट्रीय मंच की तरह उपयोग किया। उनकी फिल्मों के संवाद, गीत और विषयवस्तु आज भी प्रासंगिक हैं।

भारत सरकार ने मनोज कुमार को पद्मश्री, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, और दादा साहेब फाल्के पुरस्कार जैसे सम्मानों से नवाजा है। उनका योगदान न केवल सिनेमा बल्कि राष्ट्रीय चेतना को जगाने में भी अनमोल है।

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