मुस्लिम राष्ट्रीय मंच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के तहत एक शाखा के रूप में काम करता है, जिसका उद्देश्य भारतीय मुस्लिम समुदाय के बीच संघ के विचारों को फैलाना है। मंच का यह दावा है कि वह भारतीय समाज में एकता और अखंडता को बढ़ावा देने का काम करता है। यह मुस्लिम समाज को यह समझाने की कोशिश करता है कि वे भी भारतीय संस्कृति और सभ्यता का हिस्सा हैं और उन्हें हिन्दू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देना चाहिए। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया है, जिनमें इफ्तार पार्टी, राम नवमी उत्सव, और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियाँ शामिल हैं।
कन्नौज में आयोजित इफ्तार पार्टी, जो इंद्रेश कुमार के जन्मदिन पर आयोजित की गई, को मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने खास तौर पर मुस्लिम समुदाय के बीच अपनी गतिविधियों को साझा करने और उन्हें संगठन के साथ जोड़ने के लिए आयोजित किया था। मंच के क्षेत्रीय सह संयोजक के अनुसार, इस आयोजन का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय को यह बताना था कि संघ उनके विकास और कल्याण के लिए काम कर रहा है। इसके साथ ही यह भी कहा गया कि यह आयोजन इसलिये किया गया था ताकि मुस्लिम समुदाय और संघ के बीच आपसी समझ और विश्वास को बढ़ावा मिले।
इस इफ्तार पार्टी में कन्नौज के मुस्लिम समुदाय के कई लोग शामिल हुए और यह आयोजन सफल रहा। आयोजकों ने बताया कि यह आयोजन हर साल आयोजित किया जाएगा, ताकि संघ के विचार और संगठन की गतिविधियाँ मुस्लिम समुदाय तक पहुंच सकें।
यह सवाल उठता है कि संघ का मुस्लिम समुदाय के प्रति यह प्रेम क्या वाकई समाजसेवा का हिस्सा है या फिर यह राजनीतिक तुष्टीकरण की रणनीति का हिस्सा है? संघ हमेशा से अपने हिन्दू राष्ट्र के एजेंडे के लिए जाना जाता है और इसके विचारधारा में हिन्दू धर्म और संस्कृति को प्रमुख स्थान दिया जाता है। ऐसे में मुस्लिम समुदाय के प्रति इस तरह की विशेष गतिविधियाँ समझने योग्य सवाल पैदा करती हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हमेशा से यह दावा रहा है कि वह हिन्दू धर्म और संस्कृति के संरक्षण के लिए काम कर रहा है। इसके बावजूद, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के आयोजनों से यह प्रतीत होता है कि संघ मुस्लिम समुदाय के बीच अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रहा है। खासकर तब जब भाजपा और संघ के नेताओं की ओर से यह दावा किया जाता है कि हिन्दू राष्ट्र के विचार से भारत की विविधता को खतरा नहीं है और सभी धर्मों के लोग इस देश में बराबरी से रह सकते हैं।
यहां एक बड़ा सवाल उठता है कि क्या यह सब राजनीतिक दृष्टिकोण से किया जा रहा है? क्या संघ अपने उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए मुस्लिम समुदाय को तुष्ट करने की कोशिश कर रहा है? यदि हम भाजपा के दृष्टिकोण को देखें तो यह राजनीति के कारण हो सकता है, क्योंकि भाजपा हमेशा से यह साबित करने की कोशिश करती रही है कि वह सभी समुदायों के साथ समान व्यवहार करती है, चाहे वह हिन्दू हो या मुस्लिम। लेकिन संघ की इस प्रकार की गतिविधियाँ यह दर्शाती हैं कि संगठन का यह कदम कुछ और उद्देश्य की ओर इशारा कर रहा है।
यह ध्यान देने वाली बात है कि संघ के विचार हमेशा से हिन्दू राष्ट्र के सिद्धांत पर आधारित रहे हैं। संघ का मुख्य उद्देश्य भारत को एक हिन्दू राष्ट्र के रूप में देखना है, जहां हिन्दू धर्म और संस्कृति प्रमुख रूप से स्थान पाए। ऐसे में यह सवाल उठता है कि अगर संघ हिन्दू राष्ट्र के सिद्धांत के पक्षधर हैं, तो वह मुस्लिम समुदाय के साथ इस तरह की मुलाकातों और आयोजनों का आयोजन क्यों कर रहे हैं? क्या यह संघ की विचारधारा में किसी प्रकार का बदलाव है?
संघ के मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के इन आयोजनों को अगर तुष्टीकरण की रणनीति के रूप में देखा जाए, तो यह भाजपा और संघ के राजनीतिक उद्देश्यों को लेकर संदेह को जन्म देता है। क्या संघ का यह मुस्लिम प्रेम भारतीय समाज की एकता और अखंडता को बढ़ाने के उद्देश्य से है या फिर यह चुनावी रणनीति का हिस्सा है?
कन्नौज में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच द्वारा आयोजित इफ्तार पार्टी एक संकेत है कि संघ और भाजपा मुस्लिम समुदाय के बीच अपनी पहुंच को बढ़ाने के लिए किसी भी कदम से पीछे नहीं हट रहे हैं। हालांकि यह कार्यक्रम मुस्लिम समुदाय के बीच संगठन की गतिविधियाँ साझा करने का प्रयास हो सकता है, लेकिन संघ और भाजपा के हिंदू राष्ट्र के एजेंडे को देखते हुए, यह राजनीतिक तुष्टीकरण की रणनीति के रूप में भी देखा जा सकता है। अंततः यह सवाल उठता है कि क्या संघ इस तरह के आयोजनों के माध्यम से मुस्लिम समुदाय के बीच अपनी छवि सुधारने की कोशिश कर रहा है, या फिर यह एक दीर्घकालिक योजना का हिस्सा है जिसका उद्देश्य भारतीय समाज में सामाजिक समरसता बढ़ाना है?