मल्लिकार्जुन खड़गे की बक्सर की जनसभा में नहीं जुटी भीड़, जिलाध्यक्ष मनोज कुमार पांडे सस्पेंड — कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नाराज़गी और हताशा

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बक्सर, बिहार 21 अप्रैल 2025 :  बिहार के बक्सर ज़िले में हुए 20 अप्रैल को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की आयोजित जनसभा में उम्मीद के अनुसार भीड़ न जुट पाने की वजह से ज़िला कांग्रेस अध्यक्ष मनोज कुमार पांडे को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। यह आदेश कांग्रेस हाईकमान के तीव्र नाराज़गी के कारण दिया गया है, और आज इस घटना ने पार्टी के भीतर गहरे असंतोष और संगठनात्मक शिथिलता की मिसाल बनकर उभरी है।

जनसभा के मौके पर मंच पर कांग्रेस के ज़िला और राज्य स्तरीय नेता तो थे, लेकिन सभा केंद्र पर आम जनों की उपस्थिति नगण्य रही। कुर्सियाँ खाली, सड़कें शांत, और प्रचार-प्रसार की तैयारियाँ भी बेहद कमजोर दिखाई दीं। पार्टी सूत्रों के हवाले से, इसकी पूरी ज़िम्मेदारी जिलाध्यक्ष मनोज कुमार पांडे पर डालते हुए उन्हें पद से हटा दिया गया।हालाँकि, कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि अकेले जिलाध्यक्ष को दोष देना न्यायसंगत नहीं है। एक वरिष्ठ स्थानीय नेता ने कहा, “मनोज पांडे जी ने अकेले क्या करना था? जब प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर से कोई ठोस सहायता नहीं मिलती, न फंडिंग होती है, न प्रचार सामग्री आती है, तो जिलाध्यक्ष कितना कर पाएँगे?”*

कांग्रेस के एक युवा कार्यकर्ता ने बेहद तल्ख़ शब्दों में कहा, “हम अपने खर्चे पर बैनर लगाते हैं, पोस्टर छपवाते हैं, भीड़ लाने के लिए रिक्वेस्ट करते हैं, लेकिन ऊपर से सिर्फ आदेश आते हैं। मेहनत करने वालों की कोई कद्र नहीं, और ज़िम्मेदारी फेंक दी जाती है निचले कार्यकर्ताओं पर।”

पार्टी के भीतर अब यह आग्रह उठने लगा है कि संगठन की असफलता की जड़े ज़िलास्तर पर ही नहीं, पूरे ढाँचे में हैं। बार-बार ऐसे केसों में केवल पदाधिकारियों को सस्पेंड करने से न ही समस्या का समाधान होगा, और न ही कार्यकर्ताओं का मनोबल होगा।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार जैसे राज्य में जहाँ कांग्रेस पहले से ही हाशिए पर है, वहाँ इस तरह की घटनाएँ पार्टी के लिए और भी नुकसानदेह हैं। सहयोगी दलों के बीच फंसी कांग्रेस न तो स्वतंत्र जनाधार बना पा रही है, और न ही जमीनी स्तर पर संगठन को मज़बूत करने की दिशा में ठोस प्रयास कर रही है।

बक्सर की रैली में खड़गे के आगमन जैसे रूप से महत्वपूर्ण मौके पर भीड़ न जुटा पाना और उसके बाद मनोज कुमार पांडे को सस्पेंड किया जाना, इस बात का प्रतीक बन गया है कि पार्टी को आत्ममंथन की सख्त ज़रूरत है। वरना आने वाले चुनावों में यह खाई और गहरी होती जाएगी — और कांग्रेस केवल जनसभाओं में खाली कुर्सियाँ गिनती रह जाएगी।

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