मलेशिया में 130 साल पुराना हिंदू मंदिर तोड़े जाने की कगार पर, मस्जिद निर्माण के लिए हटाने की योजना

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समग्र समाचार सेवा
कुआलालंपुर,25 मार्च।
मलेशिया में 130 साल पुराने एक हिंदू मंदिर के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्थानीय प्रशासन ने इस ऐतिहासिक मंदिर को ध्वस्त करने की योजना बनाई है ताकि वहां एक नई मस्जिद का निर्माण किया जा सके। इस फैसले से हिंदू समुदाय में भारी रोष है और यह मामला धार्मिक सहिष्णुता व सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण को लेकर बहस का विषय बन गया है।

मलेशिया में बसे हिंदू समुदाय के लोगों के अनुसार, यह मंदिर पिछले 130 वर्षों से धार्मिक आस्था का केंद्र रहा है। मंदिर न केवल पूजा का स्थान है, बल्कि इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। स्थानीय हिंदू संगठनों का कहना है कि प्रशासन द्वारा इस ऐतिहासिक धरोहर को तोड़ने का निर्णय असंवैधानिक और धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है।

  • मंदिर प्रबंधन समिति का कहना है कि बिना किसी ठोस वजह के इस मंदिर को हटाने का प्रयास किया जा रहा है।

  • कई हिंदू संगठनों ने इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किए हैं।

  • कुछ संगठनों ने न्यायिक हस्तक्षेप की मांग भी की है।

मलेशिया में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के लोग लंबे समय से धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को लेकर चिंता जता रहे हैं। हिंदू संगठनों का कहना है कि धार्मिक स्वतंत्रता और ऐतिहासिक धरोहरों का सम्मान किया जाना चाहिए।

मलेशियाई प्रशासन ने इस विवाद पर अभी तक कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि इस क्षेत्र के पुनर्विकास की योजना के तहत यह निर्णय लिया गया है।

कुछ रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया है कि स्थानीय मुस्लिम समुदाय के कुछ नेताओं ने इस मुद्दे को लेकर बातचीत का प्रस्ताव दिया है।

  • हिंदू संगठनों का कहना है कि मंदिर को हटाना धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन है।

  • उन्होंने सरकार से अपील की है कि मंदिर को ऐतिहासिक धरोहर घोषित कर संरक्षित किया जाए।

  • कुछ संगठनों ने इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने की चेतावनी भी दी है।

इस पूरे विवाद को लेकर मलेशिया में धार्मिक सौहार्द्र और अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर एक नई बहस छिड़ गई है। यदि प्रशासन इस मंदिर को ध्वस्त करने की योजना पर आगे बढ़ता है, तो यह मामला और गंभीर हो सकता है।

मलेशिया के हिंदू समुदाय ने सरकार से मंदिर को वैकल्पिक स्थान पर स्थानांतरित करने या संरक्षित करने की मांग की है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस पर क्या निर्णय लेता है।

इस घटना ने एक बार फिर धार्मिक स्वतंत्रता, सांस्कृतिक धरोहर और सहिष्णुता के महत्व को उजागर किया है।

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