रायसेन
मध्य प्रदेश के नवीनतम टाइगर रिजर्व रातापानी में गिद्ध की एक दुर्लभ प्रजाति को देखा गया है, जिसकी तस्वीरें टाइगर रिजर्व द्वारा सोशल मीडिया पर साझा की गई हैं. सफेद रंग का यह गिद्ध विलुप्त हो रही गिद्ध की प्रजातियों में से एक है. इस गिद्ध को अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ने संकटग्रस्त घोषित किया है. पहली बार है जब विलुप्त होती गिद्ध की इस प्रजाति को यहां देखा गया है.
इसे पवित्र पक्षी मानते थे मिस्र के क्रूर राजा
इस गिद्ध की बनावट अपने आप में आकर्षक होती है, क्योंकि ये उम्र के अनुसार अपना रंग बदलता है. जब यह गिद्ध युवा होता है, तो गहरे भूरे रंग के होता है. जैसे-जैसे उसकी उम्र बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे इनके पंखों का रंग भी सफेद होता जाता है. जब ये गिद्ध अपने परिपक्व उम्र के पास पहुंचते हैं तब इनके पंखों का रंग एकदम सफेद दिखने लगता है और इनकी चोंच पीले रंग की दिखाई देती है. यह दुर्लभ प्रजाति का गिद्ध मिस्र के अलावा उत्तर भारत, पकिस्तान, नेपाल और पश्चिम अफ्रीका में मिलते हैं. यह एक जमाने में मिस्र के क्रूर राजा का पवित्र पक्षी हुआ करता था.
बता दें कि प्राचीन मिस्र में राजा सफेद गिद्ध को देवी नेखबेट के रूप में पूजते थे, जो मिस्र की संरक्षक देवी थी और जिसे अक्सर शाही प्रतीक के रूप में चित्रित किया जाता था.
5000 किलोमीटर तक यात्रा करने में सक्षम
मिस्र के गिद्ध यूरोप के चुनिंदा पक्षियों में से एक हैं, जो लंबी दूरी का प्रवास करते हैं. प्रतिदिन यह 640 किलोमीटर तक की उड़ान भरकर अपने प्रजनन स्थलों पर पहुंचते हैं. ये अपने यूरोपीय प्रजनन स्थलों और शहर के दक्षिणी किनारे पर अपने शीतकालीन मैदानों के बीच प्रवास करते समय 5000 किलोमीटर तक की यात्रा कर सकते हैं. प्रजनन के मौसम के समय यह दक्षिण यूरोप उत्तरी अफ्रीका और एशिया के कुछ हिस्सों में चट्टानों और पहाड़ियों पर अपने घोसला बनाते हैं.
यह प्रवासी पक्षी के तौर पर जाना जाता है
इनका लैटिन नाम नियोफ्रॉन पर्कनॉप्टेरस है, जो पहले पश्चिमी अफ्रीका से लेकर उत्तर भारत पाकिस्तान और नेपाल में काफी तादाद में पाया जाता था पर अब इसकी तादात में बहुत ज्यादा गिरावट आई है. जिसके चलते अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ने इसकी प्रजाति को संकटग्रस्त घोषित कर दिया है. उत्तर भारत के अलावा भारत के अन्य राज्यों में यह प्रवासी पक्षी के तौर पर जाना जाता है.
मिस्र गिद्ध गर्म हवाओं में भरता है ऊंची उड़ान
मिस्र गिद्ध जिसे सफेद मेहतर गिद्ध या फिरौन का चिकन के तौर पर भी जाना जाता है. यह लंबी ऊंचाई पर उड़ान भरने के लिए गर्म हवाओं का सहारा लेता है. दिन के समय जब तापमान अधिक होता है तो यह ऊंची उड़ान भरता है, जिससे कि इस उड़ाने के दौरान ज्यादा बाल का उपयोग न करना पड़े. यह एक अवसरवादी पक्षी होता है, जो छोटे स्तनधारी पक्षियों और सांपों का शिकार करता है. साथ ही यह पक्षियों के अंडों को भी अपना शिकार बनाता है.
इसका यहां दिखना आनोखी बात है
रातापानी टाइगर रिजर्व के अधीक्षक सुनील भारद्वाज ने कहा, “4 मार्च को सुबह के समय इस गिद्ध को यहां देखा गया था. पूरे विश्व में विलुप्त हो रहे पक्षियों में से यह गिद्ध एकहै, जिसे संरक्षण की आवश्यकता है. रातापानी टाइगर रिजर्व में प्रवासी पक्षियों के संरक्षण और उन्हें बेहतर पर्यावास उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे कि यहां आने वाले प्रवासी पक्षी स्वतंत्र विचरण कर सकें. मिस्र के गिद्ध का यहां पर दिखना अपने आप में अनोखी बात है.”