भारत और फ्रांस के बीच राफेल डील साइन

नई दिल्ली,28 अप्रैल। भारत और फ्रांस के बीच सोमवार को नई दिल्ली में 26 राफेल मरीन विमानों की डील साइन हो गई। भारत की तरफ से रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने डील पर साइन किए। डील के तहत भारत, फ्रांस से 22 सिंगल सीटर विमान और 4 डबल सीटर विमान खरीदेगा।

ये विमान परमाणु बम दागने की क्षमता से लैस होंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक फ्रांस के साथ ये डील करीब 63,000 करोड़ रुपए में हो रही है। हथियारों की खरीद के मामले में यह फ्रांस के साथ भारत की अब तक की सबसे बड़ी डील है।

विमानों की खरीद को 23 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक में मंजूरी मिली थी। यह मीटिंग पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद बुलाई गई थी।

रिपोर्ट्स के मुताबिक इन विमानों की डिलीवरी 2028-29 में शुरू होगी और 2031-32 तक सभी विमान भारत पहुंच जाएंगे।

राफेल-एम कितना ताकतवर, नौसेना के लिए क्यों जरूरी?

कैसा है राफेल-एम का डिजाइन? राफेल-एम (मरीन) का उपयोग नौसेना के विमान वाहक पोत में होगा। 50.1 फीट लंबे राफेल-एम का वजन 15 हजार किलो तक है। फ्यूल कैपिसिटी भी 11,202 किग्रा है, जिससे यह ज्यादा देर तक उड़ सकता है। यह सिंगल और डबल सीटर विमान 52 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है। इस विमान के फोल्डिंग विंग्स भी काफी मजबूत हैं। रफ्तार 2205 किमी प्रतिघंटा है।

क्या है राफेल-एम की खासियत? राफेल-एम सिर्फ एक मिनट में 18 हजार मीटर की ऊंचाई तक पहुंच सकता है। यह पाकिस्तान के एफ-16 और चीन के जे-20 से ज्यादा बेहतर है। यह उड़ान भरने के बाद 3700 किमी दूर तक हमला करने में सक्षम है। इसमें 30 एमएम की ऑटो कैनन गन और 14 हार्ड प्वाइंट्स हैं। यह बहुत कम जगह पर भी ‘लैंड’ कर सकता है।

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