वाशिंगटन ,21 मार्च। अमेरिका में भारतीय रिसर्चर बदर खान सूरी के डिपोर्टेशन (देश से निकाले जाने) पर अमेरिकी अदालत ने रोक लगा दी है। वर्जीनिया कोर्ट की जज पेट्रीसिया टोलिवर गिल्स ने आदेश दिया कि सूरी को तब तक अमेरिका से नहीं निकाला जाएगा, जब तक अदालत इससे जुड़े आदेश जारी नहीं करती।
अमेरिका के इमिग्रेशन अधिकारियों ने सोमवार रात भारतीय छात्र बदर खान सूरी को वर्जीनिया से गिरफ्तार किया था। सूरी पर अमेरिका में हमास के समर्थन में प्रोपेगैंडा फैलाने और संगठन से जुड़ी आतंकी से रिश्ता रखने का आरोप है।
सूरी स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत अमेरिका की जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी का छात्र है। वह सेंटर फॉर मुस्लिम-क्रिश्चियन अंडरस्टैंडिंग में पोस्ट डॉक्टोरल फैलो के रूप में पढाई कर रहा है।
वकील बोले- सूरी की पत्नी फिलिस्तीनी, इसलिए निशाना बने बदर खान सूरी के वकील ने उन पर लगे आरोपों को खारिज किया है। वकील ने अदालत में दायर एक याचिका में कहा कि सूरी को निशाना इसलिए बनाया जा रहा है, क्योंकि उनकी पत्नी एक फिलिस्तीनी हैं। उनकी गिरफ्तारी का मकसद फिलिस्तीनी अधिकारों का समर्थन करने वाले लोगों की आवाज को दबाना है।
वकील ने अदालत में दाखिल किए गए दस्तावेज में कहा कि न तो विदेश मंत्री मार्को रुबियो और न ही किसी अन्य सरकारी अधिकारी ने आरोप लगाया है कि सूरी ने कोई अपराध किया है या वास्तव में कोई कानून तोड़ा है। उन्होंने अपने विचार रखे हैं, जो कि पूरी तरह से संवैधानिक हैं।
सूरी की पत्नी का नाम मफज सालेह है। सूरी 2011 में लोगों की मदद के लिए गाजा पहुंचे थे, इस दौरान दोनों की मुलाकात हुई थी। मफज ने नई दिल्ली में जामिया यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मफज के पिता अहमद यूसुफ हमास से जुड़े हुए हैं, जिसे अमेरिका ने एक आतंकवादी संगठन घोषित कर रखा है।
मफज ने कहा, “मेरे पति की हिरासत ने हमारी जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया है। हमारे तीन बच्चों को अपने पिता की बहुत जरूरत है। वे उन्हें बहुत याद करते हैं। एक मां के तौर पर मुझे अपने बच्चों और खुद की देखभाल के लिए उनके सहारे की सख्त जरूरत है।”