भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में नैनार नागेन्द्रन सबसे आगे, मुख्य मुद्दा भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान विरासत में मिला
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तमिलनाडु भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन की प्रक्रिया अब निर्णायक मोड़ पर पहुँच गई है। प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई के औपचारिक रूप से पद छोड़ने की घोषणा के बाद अब भाजपा के वरिष्ठ विधायक नैनार नागेन्द्रन को नए अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त किया जा सकता है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, शनिवार को होने वाली राज्य कार्यकारिणी की बैठक के बाद इस संबंध में आधिकारिक घोषणा की संभावना है।इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की चेन्नई यात्रा ने प्रदेश भाजपा की गतिविधियों को नई गति दी है। शाह के कार्यक्रम में वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात, आरएसएस विचारक एस. गुरुमूर्ति से भेंट और मंदिर दर्शन शामिल हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उनका यह दौरा भाजपा और अन्नाद्रमुक के बीच संभावित गठबंधन की पृष्ठभूमि में हो रहा है।
प्रदेश भाजपा के लिए सबसे अहम चुनावी मुद्दा भ्रष्टाचार ही रहा है। पिछले दो वर्षों में, के. अन्नामलाई ने डीएमके सरकार के खिलाफ कई आरोपों की श्रृंखला चलाई। इसमें सबसे उल्लेखनीय था ‘DMK Files’—एक दस्तावेजी रिपोर्ट, जिसे अन्नामलाई ने सार्वजनिक मंच पर पेश किया। इसमें मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन सहित कई वरिष्ठ डीएमके नेताओं पर भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति के आरोप लगाए गए थे।
हाल ही में स्वास्थ्य विभाग में हुए घोटाले, रेत खनन से जुड़े आरोप और कई जिलों में सरकारी ठेकों में पारदर्शिता की कमी को लेकर सरकार की किरकिरी हुई है। विपक्ष लगातार इन मुद्दों को उठा रहा है, लेकिन भाजपा ने इसे सटीक रणनीतिक अभियान में बदला।
अब सवाल यह है कि अन्नामलाई की यह आक्रामक शैली क्या उनके उत्तराधिकारी में भी दिखाई देगी?
तिरुनेलवेली से भाजपा विधायक नैनार नागेन्द्रन का राजनीतिक करियर अन्नाद्रमुक से शुरू हुआ था। 2017 में उन्होंने भाजपा का दामन थामा और 2021 के विधानसभा चुनाव में अन्नाद्रमुक-भाजपा गठबंधन के तहत जीत हासिल की। वे फिलहाल भाजपा के विधानसभा दल के नेता हैं।
उनकी जातिगत पृष्ठभूमि—मुक्कुलथोर समुदाय से ताल्लुक—और अन्नाद्रमुक नेतृत्व से निकटता, उन्हें एक सहज राजनीतिक विकल्प बनाती है, खासकर तब जब भाजपा फिर से गठबंधन की संभावनाओं को टटोल रही है।
गठबंधन बनाम भ्रष्टाचार का एजेंडा
भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती इस वक्त यह है कि यदि वह अन्नाद्रमुक के साथ पुनः गठबंधन करती है, तो क्या वह भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अपना नैतिक अधिकार बरकरार रख पाएगी? अन्नाद्रमुक की सरकारें भी पहले भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी रही हैं—चाहे वह जे. जयललिता के कार्यकाल में आय से अधिक संपत्ति का मामला हो या बाद में हुए स्थानीय स्तर के घोटाले।
अगर नागेन्द्रन अध्यक्ष बनाए जाते हैं, तो क्या वे अन्नामलाई की तरह डीएमके के खिलाफ सख्त तेवर अपनाएंगे? या फिर गठबंधन की राजनीति के चलते पार्टी की भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम धीमी पड़ जाएगी? यह सवाल भाजपा के कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
सूत्रों के अनुसार, भाजपा का शीर्ष नेतृत्व 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले तमिलनाडु को एक ‘हाई इंटेंसिटी’ चुनावी राज्य के तौर पर देख रहा है। ऐसे में नया प्रदेश अध्यक्ष केवल एक संगठनात्मक पदाधिकारी नहीं, बल्कि एक प्रचार अभियान का चेहरा भी होगा।
भ्रष्टाचार, हिंदुत्व, सामाजिक न्याय और गठबंधन—इन चार ध्रुवों के बीच संतुलन बनाना ही आने वाले महीनों में प्रदेश भाजपा की सबसे बड़ी परीक्षा होगी।
भाजपा अध्यक्ष पद की दौड़ में नैनार नागेन्द्रन सबसे आगे, डीएमके के घोटालों के बीच भाजपा ने तेज किया भ्रष्टाचार विरोधी एजेंडा
तमिलनाडु भाजपा में अध्यक्ष पद को लेकर गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। वर्तमान अध्यक्ष के. अन्नामलाई के पद छोड़ने की घोषणा के बाद, पार्टी के वरिष्ठ विधायक नैनार नागेन्द्रन को अगला प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना प्रबल हो गई है। इस बदलाव की घोषणा शनिवार को पार्टी की राज्य कार्यकारिणी बैठक के बाद हो सकती है।
इस बीच, भाजपा के राजनीतिक संदेश में भ्रष्टाचार विरोधी एजेंडा एक बार फिर से केंद्रीय भूमिका निभा रहा है—खासकर तब, जब डीएमके सरकार पर हाल के महीनों में दो बड़े घोटालों के आरोप लगे हैं।
स्वास्थ्य विभाग में ट्रांसफर-पोस्टिंग रैकेट: “स्थानांतरण के लिए रिश्वत का सिस्टम”
तमिलनाडु के स्वास्थ्य विभाग में एक गहरे और जटिल ट्रांसफर -पोस्टिंग रैकेट का खुलासा हाल ही में हुआ। मीडिया रिपोर्टों और सूत्रों के अनुसार, जिला और ब्लॉक स्तर के मेडिकल अधिकारियों के स्थानांतरण व नियुक्ति के बदले में बड़ी मात्रा में रिश्वत ली जा रही थी।
यह घोटाला तब उजागर हुआ जब कुछ डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों ने अंदरूनी तौर पर इस ‘सिस्टम’ की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों और मीडिया को दी। आरोपों के अनुसार:
एक पोस्टिंग के लिए ₹3 से ₹10 लाख तक की माँग की जाती थी।
इसमें स्वास्थ्य विभाग के कुछ वरिष्ठ IAS अधिकारी और राजनीतिक बिचौलिए शामिल थे।
सीएमओ स्तर तक की पोस्टिंग भी इस रैकेट के ज़रिए प्रभावित हो रही थी।
भाजपा ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। अन्नामलाई ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया कि “तमिलनाडु सरकार अब स्वास्थ्य सेवा नहीं, हेल्थ मार्केटिंग चला रही है।”
शिक्षा विभाग भर्ती घोटाला: “पैसे दो, शिक्षक बनो” मॉडल का पर्दाफाश
तमिलनाडु में शिक्षक नियुक्तियों को लेकर भी गंभीर अनियमितताओं का आरोप लगा है। 2024 के मध्य में, शिक्षक भर्ती बोर्ड (TRB) द्वारा आयोजित परीक्षा और साक्षात्कार प्रक्रिया में पारदर्शिता की भारी कमी उजागर हुई।
कई आवेदकों ने आरोप लगाया कि उन्हें ₹5 से ₹12 लाख तक की माँग की गई थी नियुक्ति के बदले।
कुछ मामलों में कम मेरिट स्कोर वाले अभ्यर्थियों को नियुक्त किया गया, जबकि उच्च मेरिट वाले वंचित रह गए।
भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने इस घोटाले को “शिक्षा की बोली” करार दिया।
इस घोटाले के सामने आने के बाद भाजपा ने सोशल मीडिया और जनसभाओं में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। अन्नामलाई ने यहाँ तक कहा कि “डीएमके के तहत तमिलनाडु में केवल वही पढ़ा सकता है, जो पहले रिश्वत की किताब पढ़ चुका हो।”
भ्रष्टाचार के खिलाफ भाजपा की चुनावी रणनीति
इन घोटालों के सामने आने के बाद भाजपा का रुख और स्पष्ट हो गया है—2026 के विधानसभा चुनावों में भ्रष्टाचार ही मुख्य मुद्दा होगा।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, भाजपा अब इन मुद्दों को लेकर एक राज्यव्यापी जागरूकता अभियान चलाने की योजना बना रही है, जिसमें:
दस्तावेज़ी साक्ष्य आधारित रिपोर्टें,
जनसभाएँ और सोशल मीडिया प्रचार,
घोटालों में शामिल अधिकारियों और नेताओं की लिस्ट, प्रस्तुत की जाएगी।
नया अध्यक्ष—यदि नैनार नागेन्द्रन ही होते हैं—तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी कि क्या वे अन्नामलाई की तरह डीएमके सरकार को सीधी चुनौती दे पाएँगे, या गठबंधन की राजनीति इस तेवर को कमज़ोर कर देगी?
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