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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,11 अप्रैल। मिजोरम में आर्थिक विकास और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए, मिजोरम के योजना और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्री डॉ. के. बैचुआ ने हाल ही में जापानी राजनयिकों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक का उद्देश्य मिजोरम और जापान के बीच सहयोग के नए अवसरों को तलाशना था।
बैठक में बुनियादी ढांचे के विकास, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और शैक्षणिक पहलों जैसे क्षेत्रों में संभावित साझेदारियों पर चर्चा हुई। डॉ. बैचुआ ने मिजोरम की रणनीतिक स्थिति को रेखांकित करते हुए इसे दक्षिण एशियाई बाजार में प्रवेश करने के लिए जापानी व्यवसायों के लिए एक प्रवेश द्वार बताया। उन्होंने राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का उल्लेख करते हुए जापानी प्रान्तों के साथ “सिस्टर-स्टेट” संबंध स्थापित करने की इच्छा जताई, जिससे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत किया जा सके।
जापानी प्रतिनिधिमंडल ने मिजोरम में निवेश की संभावनाओं को लेकर गहरी रुचि दिखाई, विशेष रूप से बांस आधारित उद्योगों और सतत पर्यटन के क्षेत्रों में। जापान की ओर से यह स्पष्ट संकेत मिला कि वे पूर्वोत्तर भारत के इस राज्य को एक संभावनाशील निवेश स्थल के रूप में देख रहे हैं।
बैठक में यह सहमति बनी कि प्रस्तावित परियोजनाओं की व्यवहार्यता के लिए अध्ययन किए जाएंगे और एक संयुक्त कार्य समिति गठित की जाएगी, जो साझेदारियों की प्रगति की निगरानी करेगी। इस पहल को मिजोरम के सतत विकास और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति के रूप में देखा जा रहा है।
मिजोरम की प्राकृतिक संपदा, विशेषकर बांस की भरपूर उपलब्धता, जापान जैसे देशों के लिए आर्थिक सहयोग का केंद्र बन सकती है। अगर ये साझेदारियां धरातल पर उतरती हैं, तो यह न केवल राज्य के आर्थिक विकास को गति देगी, बल्कि भारत-जापान संबंधों में भी एक नया अध्याय जोड़ेगी।
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