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पश्चिम बंगाल 12 अप्रैल 2025 : पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शनों में राज्य सरकार का कड़ा रुख सामने आया है। हिंसा के चलते पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए 110 से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। यह कड़ी कार्रवाई राज्य के चार महत्वपूर्ण जिलों—मालदा, मुर्शिदाबाद, दक्षिण 24 परगना और हुगली—में फैली हिंसा पर की गई है।
मुर्शिदाबाद जिले में, जहां अधिक दंगों की जानकारी आई है, प्रदर्शनकारियों ने कारों में आग लगा दी, सड़कों को बंद कर दिया गया और पत्थरबाजी की घटनाएँ सामने आईं। पुलिस के अनुसार, सुती क्षेत्र से करीब 70 लोगों और समसेरगंज से 41 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इन इलाकों में स्थिति ऐसी हो गई कि वहां पर तुरंत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है। इसके अलावा, इंटरनेट सेवाओं को भी निलंबित कर दिया गया है ताकि हिंसा की खबर और अफवाह फैलने से बच सके।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि नियंत्रण के प्रयासों के दौरान हिंसक प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की गई। इस कार्रवाई में चार लोगों को चोट आई, जिन्हें कोलकाता के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि घायल व्यक्तियों की हालत अब सामान्य हो गई है। पुलिस का यह कदम कानून व्यवस्था बनाए रखने और हिंसा को बढ़ने से रोकने के उद्देश्य से उठाया गया है। एक अधिकारी ने स्पष्ट किया, “किसी भी स्थान पर इकट्ठा होने की अनुमति नहीं दी जाएगी। हम कानून-व्यवस्था को बिगाड़ने की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
इस पूरे मामले में राज्य सरकार द्वारा किए गए सख्त कदमों की चर्चा करते हुए यह भी सामने आया है कि मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के चलते न केवल क्षेत्रीय प्रशासन बल्कि राज्य के अन्य जिलों में भी व्यापक छापेमारी की जा रही है। इस कार्रवाई का उद्देश्य हिंसक गतिविधियों को तुरंत समाप्त कर राज्य में शांति बहाल करना है। पुलिस ने बताया कि सभी प्रभावित इलाकों में गश्त जारी रखी गई है और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।
भाजपा ने ममता बनर्जी सरकार की कठोर आलोचना करते हुए कहा है कि अगर सरकार स्थिति को संभालने में असमर्थ है तो उसे केंद्र से मदद लेनी चाहिए। भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने एक्स (Twitter) पर एक पोस्ट में कहा, “मैं यह स्पष्ट कर दूं कि यह कोई विरोध प्रदर्शन नहीं था, बल्कि एक पूर्व निर्धारित हिंसक कृत्य था। यह जिहादी ताकतों का लोकतंत्र और शासन पर हमला है, जो अपने प्रभुत्व को स्थापित करने और हमारे समाज के अन्य समुदायों में डर फैलाने के लिए अराजकता पैदा करना चाहते हैं।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट कर, सरकारी अधिकारियों को धमकाया गया और एक ऐसा माहौल बनाया गया जिसमें डर और असहयोग की स्थिति कायम हो गई।
भाजपा का यह तर्क है कि ममता बनर्जी सरकार की इस हिंसात्मक वातावरण में सहमति जताती प्रतीत होती है, जिससे राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति और भी नाजुक हो जाती है। वे कहते हैं कि अगर प्रशासन अपने कर्तव्यों का पालन करने में असफल रहता है, तो इसकी जिम्मेदारी न केवल राज्य की बल्कि पूरे देश की लोकतांत्रिक संरचना पर प्रश्नांश हैं।
इस घटना ने पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक नई चेतावनी का रूप धारण कर लिया है। जहां एक ओर राज्य सरकार की ओर से हिंसा पर नियंत्रण के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों द्वारा इस स्थिति का निंदा करते हुए प्रशासन की असमर्थता पर जोर दिया जा रहा है। यह घटना एक बार फिर से यह स्पष्ट कर देती है कि जब राज्य में कानून व्यवस्था का पालन नहीं होता, तो न केवल सामान्य नागरिकों की सुरक्षा प्रभावित होती है, बल्कि पूरे लोकतंत्र की नींव भी हिल जाती है
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