फ्रेंडशिप के नाम पर फरेब: वाराणसी में 19 साल की लड़की के साथ दरिंदगी

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पूनम शर्मा

क्या आज के डिजिटल,  मोबाईल फोन के युग में जिससे संपर्क  साधने की प्रक्रिया इतनी सुलभ हो चली है कि आप किसी भी समय सहायता प्राप्त कर सकते हों ,वहीं दूसरी ओर डिजिटल माध्यम से  सोशल मीडिया ने जहाँ एक ओर लोगों को जोड़ा है, क्या यह शोषण और अपराधों का माध्यम भी बनता जा रहा है ? 

हाल ही में वाराणसी में घटित एक बेहद शर्मनाक और स्तब्ध करने वाली  भयावह घटना  ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि सोशल मीडिया के माध्यम से कितनी आसानी से अपराधियों को शिकार मिल जाते हैं। इस डिजिटल युग में हमारे बच्चे बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं हैं । यहाँ पर यह बात अति  महत्वपूर्ण है कि आज युवतियाँ अपनी सुरक्षा को लेकर सजग क्यों नहीं हैं ? मात्र अपने लिए एक पुरुष मित्र का होना जिसे वह सोशल मीडिया द्वारा जानती हो क्या ऐसी मित्रता का कोई ठोस आधार नहीं होना चाहिए ? क्या हमारे समाज के अभिभावकों को यह नहीं समझाना और समझना चाहिए कि अपनी बेटियों को किसी से  मित्रता करने से  पूर्व संतोषप्रद जानकारी लें?  जघन्य अपराध  करने वाले लोग आज भी हमारे समाज में हमारे बीच में  रहते हैं इससे अधिक भयानक कोई और स्थिति नहीं हो सकती । कानून भी हैं पुलिस भी है पर क्या एक अनुशासित समाज है ? क्या हर अपराधी के पीछे एक पुलिस का रहना संभव है ? क्या समाज मैं नैतिकता नहीं होनी चाहिए ?

जब पूरा भारत टैक्स की डेडलाइन, मार्केट क्लोजिंग और दुनिया ट्रंप टैरिफ की ओर ध्यान लगाए हुए था, तब उसी वक्त वाराणसी  में एक दिल दहला देने वाला घिनौना अपराध चुपचाप अंजाम दिया जा रहा था। 6 अप्रैल को  एक 19 वर्षीय युवती, जो अपने दोस्तों के साथ इंस्टाग्राम के ज़रिए जुड़ी थी, उसी प्लेटफॉर्म के ज़रिए एक भयानक साजिश का शिकार बन गई। एक दोस्ती, कुछ बातचीतें, और फिर एक आम मुलाकात, जो आगे चलकर उसके जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी में बदल गई। इस लड़की को पहले नशे में धुत कर के उसके साथ गैंगरेप किया गया। न केवल एक बार, बल्कि यह क्रूरता सात दिनों तक अलग-अलग स्थानों – होटल, वेयरहाउस, ट्रक और यहाँ तक कि अस्सी घाट जैसे पवित्र स्थलों तक फैली रही।  यह केवल एक बार की बात नहीं थी। इस पूरे मामले में 22 युवकों के नाम सामने आए हैं, जिन्होंने सुनियोजित तरीके से इस युवती को नशे में धकेल कर उसके साथ बार-बार दुष्कर्म किया। 

ये सभी युवक  ना सिर्फ आपस में जानकारी साझा कर रहे थे, बल्कि इसे एक ‘क्राइम नेटवर्क’ की तरह ऑपरेट कर रहे थे। सोचिए, समाज में बैठे ऐसे लोगों की मानसिकता कितनी विकृत हो चुकी है, जो किसी की बेबसी को अपने मनोरंजन का साधन बना लेते हैं।  आज इंस्टाग्राम, स्नैपचैट, फेसबुक जैसे ऐप्स युवाओं की दिनचर्या का हिस्सा बन चुके हैं। लेकिन यह घटना बताती है कि कैसे एक फ़ेक प्रोफ़ाइल, एक मीठी सी बातचीत, और कुछ झूठे वादे एक लड़की की ज़िंदगी को तबाह कर सकते हैं। हमें यह समझने की ज़रूरत है कि डिजिटल कनेक्शन, रियल वर्ल्ड में कितना घातक बन सकता है।
इस घटना के बाद सबसे बड़ा सवाल उठता है – क्या हमारे समाज में सुरक्षा नाम की कोई चीज़ बची है? क्या अब हम अपने बच्चों को दोस्तों के साथ बाहर भेजते हुए नहीं डरेंगे? क्या स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियाँ अब सुरक्षित नहीं हैं?
यह समय है जब हर माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को सोशल मीडिया की समझ दें, उन्हें सतर्क करें, और डिजिटल दुनिया में सुरक्षित रहने की ट्रेनिंग दें। केवल पाबंदियाँ लगाने से नहीं, बल्कि संवाद से ही हम बच्चों को जागरूक कर सकते हैं।

 पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी है, और अब तक 6 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। डीसीपी वरुण जॉन और चंद्रकांत मीणा जैसे अधिकारी इस केस को गंभीरता से देख रहे हैं। लेकिन सिर्फ गिरफ्तारी से क्या होगा? जब तक समाज में भय नहीं होगा, जब तक ऐसे मामलों में फास्ट ट्रैक कोर्ट के ज़रिए त्वरित न्याय नहीं मिलेगा, तब तक ये घटनाएँ दोहराई जाती रहेंगी।
यह घटना न सिर्फ एक लड़की की ज़िंदगी को तबाह करने वाली है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। हमें यह समझना होगा कि डिजिटल स्वतंत्रता के साथ-साथ डिजिटल जिम्मेदारी भी ज़रूरी है। अब समय है कि हम अपनी सोच बदलें, अपनी नई पीढ़ी को जागरूक करें, और ऐसे अपराधों के खिलाफ एकजुट होकर खड़े हों।

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