पंजाब में किसान आंदोलन: चंडीगढ़ की ओर कूच और प्रशासन की तगड़ी तैयारी

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समग्र समाचार सेवा
पंजाब, 8 मार्च।
पंजाब में किसानों का आंदोलन एक बार फिर जोर पकड़ता जा रहा है। चंडीगढ़ की ओर कूच कर रहे किसानों के आंदोलन को देखते हुए प्रशासन ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था लागू कर दी है। पंजाब के विभिन्न हिस्सों में इस आंदोलन की हवा तेज हो चुकी है, और किसानों का विरोध अब प्रशासन के लिए चिंता का कारण बन चुका है। किसानों का मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार और पंजाब सरकार से अपनी मांगों को मनवाना है, जिसमें प्रमुख रूप से किसान नीति लागू करने और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी की मांग शामिल है।

पंजाब के कई इलाकों से किसान चंडीगढ़ की ओर कूच कर रहे थे, लेकिन प्रशासन ने बॉर्डरों को पूरी तरह से सील कर दिया। चंडीगढ़ एसपी गीतांजलि खंडेलवाल ने कहा कि चंडीगढ़ के सभी सीमाओं पर पुलिस तैनात की गई है और बैरिकेडिंग की गई है। सभी जगहों पर कड़ी जांच की जा रही है और ट्रैफिक रूट को डाइवर्ट किया गया है ताकि किसी प्रकार की असुविधा से बचा जा सके। पुलिस का मानना है कि इन सुरक्षा कदमों से किसानों को चंडीगढ़ में प्रवेश करने से रोका जा सकेगा और शहर में शांति बनी रहेगी।

इसी बीच मोहाली में साहिब गुरुद्वारा में किसानों का जमावड़ा हुआ, जहां लगभग 50 किसान पुलिस की गिरफ्त में आए। इसके अलावा, अमृतसर में भी बड़ी संख्या में किसान एकत्रित हुए हैं। प्रशासन ने पूरे क्षेत्र में चौकसी बढ़ा दी है, और किसानों के साथ किसी भी प्रकार की झड़प से बचने की पूरी कोशिश की जा रही है।

पुलिस ने किसान नेताओं को गिरफ्तार भी किया है। किसान नेता मोहन सिंह दादू, मजरा सिंह, और रघुवीर सिंह को पुलिस ने हिरासत में लिया। इस पर किसानों का रोष और बढ़ गया है। कांग्रेस के प्रवक्ता दिलावर सिंह और अमरीक सिंह पन्नू ने इन नेताओं से मिलकर उनका हालचाल जाना, लेकिन इसके बावजूद किसानों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा। किसान अब सीधे तौर पर पंजाब सरकार और मुख्यमंत्री भगवंत मान के खिलाफ मुखर हो गए हैं।

इस बीच, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच भी आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। कांग्रेस पार्टी के नेता लगातार यह आरोप लगा रहे हैं कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किसानों से मिलकर बैठक में हिस्सा लेने के बजाय बैठक बीच में छोड़ दी। कांग्रेस प्रवक्ता इसे लेकर लगातार भगवंत मान सरकार पर हमला बोल रहे हैं। उनका कहना है कि यह पहली बार है जब कोई मुख्यमंत्री किसानों से मिलने के लिए आयोजित बैठक को बीच में छोड़ कर चला गया हो।

इस मुद्दे को लेकर आम आदमी पार्टी भी बैकफुट पर दिखाई दे रही है। किसानों का कहना है कि भगवंत मान सरकार किसानों के मुद्दों को गंभीरता से नहीं ले रही है और न ही उनकी समस्याओं का समाधान कर रही है। यह स्थिति पंजाब में राजनीतिक तनाव को और बढ़ा रही है।

पंजाब में किसान संगठन अब सिर्फ केंद्र सरकार से ही नहीं, बल्कि राज्य सरकार से भी अपनी मांगें मनवाने की ओर बढ़ गए हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने पंजाब की भगवंत मान सरकार के खिलाफ आंदोलन करने का फैसला लिया है। भारतीय किसान यूनियन के नेता हरेंद्र सिंह ने घोषणा की है कि वे 10 मार्च को राज्यभर में आम आदमी पार्टी के विधायकों के घरों का घेराव करेंगे। किसानों ने यह भी कहा है कि वे अपनी आवाज को और तेज करेंगे और किसी भी तरह से अपनी मांगों को लागू करने के लिए संघर्ष करेंगे।

किसान नेताओं का कहना है कि उनकी मुख्य मांगें केंद्र सरकार से हैं, जैसे कि MSP पर कानून बनाना और किसान नीति लागू करना, लेकिन पंजाब सरकार द्वारा किसानों की अनदेखी और पुलिस द्वारा कार्रवाई ने इस आंदोलन को और उग्र बना दिया है। किसानों का कहना है कि उन्हें अपनी फसल की उचित कीमत नहीं मिल रही है, और इसके कारण वे आर्थिक रूप से परेशान हो रहे हैं।

राज्य सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम न उठाए जाने के कारण किसान अब अपने आंदोलन को और तेज करने की योजना बना रहे हैं। यदि पंजाब सरकार ने उनकी मांगों को शीघ्र पूरा नहीं किया, तो किसान और भी बड़े आंदोलन का रुख अख्तियार कर सकते हैं।

किसानों का आंदोलन अब केवल एक क्षेत्रीय मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह पूरे पंजाब और देश के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा बन चुका है। प्रशासन की सख्त नीतियों, पुलिस की गिरफ्तारी और राज्य सरकार की अनदेखी के कारण किसानों के गुस्से में और इजाफा हुआ है। अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार इस बढ़ते आंदोलन को कैसे संभालती हैं। यदि सरकार ने समय रहते किसानों की मांगों को पूरा नहीं किया, तो यह आंदोलन और भी उग्र हो सकता है। किसान अपना हक प्राप्त करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं, और यह आंदोलन आने वाले समय में और भी गंभीर मोड़ ले सकता है।

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