विवाद तब शुरू हुआ जब विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल के समर्थकों ने नागपुर के महल क्षेत्र में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के पास प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने औरंगज़ेब की तस्वीर को जलाया और एक प्रतीकात्मक कब्र को आग के हवाले कर दिया। इस दौरान अफवाह फैल गई कि कब्र पर रखे गए कपड़े पर धार्मिक ग्रंथों की आयतें लिखी हुई थीं, जिससे तनाव और बढ़ गया।
शाम होते-होते स्थिति बेकाबू हो गई, जब लगभग 80 से 100 प्रदर्शनकारियों ने हिंसक रूप ले लिया। उन्होंने पुलिस पर पत्थरबाजी की और कई वाहनों में आग लगा दी। हालात काबू में लाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। इस हिंसा में चार नागरिक और एक दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए। अब तक 50 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है, जबकि इलाके में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।
नागपुर पुलिस कमिश्नर रवींद्र कुमार सिंगल ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 163 के तहत कर्फ्यू लगाने का आदेश जारी किया। इसके तहत कोतवाली, गणेशपेठ, तहसील, लकड़गंज, पाचपावली, शांतिनगर, सक्करदरा, नंदनवन, इमामवाड़ा, यशोधरानगर और कपिलनगर पुलिस थाना क्षेत्र पूरी तरह से सील कर दिए गए हैं।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जनता से अफवाहों पर विश्वास न करने की अपील करते हुए कहा, “सरकार उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। मुख्यमंत्री को हालात की जानकारी दे दी गई है, कृपया सहयोग करें।”
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हिंसा को “अत्यंत निंदनीय” करार दिया और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी। उन्होंने कहा, “नागपुर एक शांतिप्रिय शहर है। मैं नागरिकों से अपील करता हूं कि वे कानून अपने हाथ में न लें। हम स्थिति पर पैनी नजर बनाए हुए हैं।”
इस घटना पर विपक्ष ने राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया। शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता आदित्य ठाकरे ने कहा, “कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है।” एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने शांति बनाए रखने की अपील करते हुए महाराष्ट्र की गंगा-जमुनी तहजीब को याद दिलाया। वहीं, कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने सत्ताधारी दल पर इतिहास को हथियार बनाकर समाज में दरार पैदा करने का आरोप लगाया।
प्रशासन लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है और हिंसा को रोकने के लिए सतर्कता बरती जा रही है। विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने जनता से शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की है।