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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,7 अप्रैल। देश में नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में चल रहे निर्णायक अभियान को और तीव्र गति देने के उद्देश्य से आज रायपुर, छत्तीसगढ़ में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने वामपंथी उग्रवाद पर विभागीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय, उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा, आसूचना ब्यूरो, गृह मंत्रालय, CRPF, NIA, BSF, ITBP के प्रमुख अधिकारियों समेत राज्य के शीर्ष प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने भाग लिया।
गृह मंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार नक्सलवाद को जड़ से समाप्त करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने घोषणा की कि 31 मार्च से पहले छत्तीसगढ़ समेत देशभर में नक्सलवाद “इतिहास” बन जाएगा।
श्री शाह ने कहा, “नक्सलवाद के कारण कई पीढ़ियाँ बर्बाद हुई हैं। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि यह विचारधारा दोबारा पनपने न पाए। इसके लिए इसका समूल नाश जरूरी है।”
बैठक में श्री शाह ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा विकास और सुरक्षा दोनों ही मोर्चों पर किए गए कार्यों की सराहना की। उन्होंने विशेष रूप से ‘नियद नेल्लानार योजना’ की चर्चा करते हुए इसे सुरक्षा बलों के शिविरों के 5 किलोमीटर से बढ़ाकर 10 किलोमीटर के दायरे तक विस्तारित करने का निर्देश दिया, जिससे अधिक से अधिक जनता तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंच सके।
उन्होंने कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की जनता को विकास के समान अवसर दिए जाएं ताकि उन्हें मुख्यधारा में जोड़ने का प्रयास सफल हो।
गृह मंत्री ने नक्सलियों के खिलाफ चल रहे अभियान को “scattered” यानी बिखरा हुआ न होने देने की बात पर बल देते हुए कहा कि एक राज्य से दूसरे राज्य में भाग रहे नक्सलियों पर कार्रवाई के लिए राज्य पुलिस और केन्द्रीय सुरक्षा एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय आवश्यक है।
उन्होंने यह भी कहा कि “नक्सल विरोधी अभियान का momentum किसी भी कीमत पर कमजोर नहीं पड़ना चाहिए।”
विश्लेषकों का मानना है कि मोदी सरकार की स्पष्ट राजनीतिक इच्छाशक्ति, और अमित शाह जैसे मजबूत प्रशासक की सक्रियता ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नई ऊर्जा का संचार किया है। सुरक्षा बलों को मिली खुली छूट और विकास योजनाओं के तेज क्रियान्वयन ने नक्सलवाद की जड़ें हिलाने का काम किया है।
रायपुर में हुई यह उच्चस्तरीय बैठक इस बात का संकेत है कि सरकार अब नक्सलवाद के खिलाफ फाइनल पुश के लिए तैयार है। अगर यह रणनीति सफल होती है तो वह दिन दूर नहीं जब नक्सलवाद, जो एक समय देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा माना जाता था, इतिहास के पन्नों तक सिमटकर रह जाएगा।
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