तुर्की ,20 मार्च। तुर्की की करेंसी लीरा (Lira) ऐतिहासिक गिरावट के साथ अपने रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है। हाल ही में जारी हुए आर्थिक आंकड़ों के अनुसार, तुर्की की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट का सामना कर रही है। विदेशी मुद्रा भंडार में कमी, महंगाई दर में तेज बढ़ोतरी और राजनीतिक अस्थिरता के कारण तुर्की की करेंसी पर भारी दबाव बना हुआ है। इस गिरावट से तुर्की के आम नागरिकों की क्रय शक्ति पर भी गंभीर असर पड़ा है।
लीरा की स्थिति और गिरावट का कारण
तुर्की की करेंसी लीरा इस हफ्ते अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई। 1 अमेरिकी डॉलर की कीमत 32.5 तुर्की लीरा के पार चली गई है, जो अब तक का सबसे कमजोर स्तर है।
इस गिरावट के पीछे कई मुख्य कारण बताए जा रहे हैं:
- उच्च मुद्रास्फीति (Inflation): तुर्की में महंगाई दर 60% के पार पहुंच चुकी है, जिससे आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ा है।
- विदेशी निवेश में कमी: विदेशी निवेशकों का भरोसा कमजोर हुआ है, जिससे तुर्की में पूंजी प्रवाह कम हो गया है।
- नीतिगत अस्थिरता: तुर्की के सेंट्रल बैंक ने हाल ही में ब्याज दरों में बदलाव किए हैं, जिससे बाजार में अनिश्चितता बढ़ी है।
- भू-राजनीतिक तनाव: मध्य पूर्व और यूरोप में जारी राजनीतिक तनावों का असर तुर्की की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है।
तुर्की सेंट्रल बैंक का रुख
तुर्की के केंद्रीय बैंक ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। बैंक ने ब्याज दरों को 45% तक बढ़ा दिया है, ताकि बाजार में स्थिरता लाई जा सके। हालांकि, इसका असर अब तक दिखाई नहीं दे रहा है।
तुर्की सेंट्रल बैंक के गवर्नर ने कहा,
“हम स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और जरूरी कदम उठाएंगे ताकि लीरा को स्थिर किया जा सके। बाजार में विश्वास बहाल करना हमारी प्राथमिकता है।”
लीरा की ऐतिहासिक गिरावट का सीधा असर तुर्की के आम लोगों पर पड़ रहा है:
- आयातित वस्तुएं महंगी हो गई हैं।
- ईंधन, गैस और खाद्य पदार्थों की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं।
- तुर्की में पर्यटन पर भी असर पड़ा है, जिससे स्थानीय व्यवसायों को नुकसान हो रहा है।
विशेषज्ञों की राय
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि तुर्की सरकार को अपनी मौद्रिक नीतियों में स्थिरता लानी होगी और विदेशी निवेशकों का भरोसा बहाल करना होगा। इसके अलावा, महंगाई पर नियंत्रण और वित्तीय अनुशासन भी जरूरी है। तुर्की की करेंसी लीरा की ऐतिहासिक गिरावट ने देश की अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर संकट खड़ा कर दिया है। अगर तुर्की सरकार और सेंट्रल बैंक ने जल्द प्रभावी कदम नहीं उठाए, तो देश को आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ सकता है।