वाशिंगटन ,11 फरवरी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एग्जीक्यूटिव ऑर्डर के जरिए करीब 50 साल पुराने फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेस एक्ट (FCPA) को स्थगित कर दिया है। इसके जरिए जस्टिस डिपार्टमेंट को उन अमेरिकी नागरिकों पर मुकदमा चलाने पर रोक लगा दी गई है, जिन पर किसी अन्य देशों में व्यापारिक फायदे के लिए उस देश के सरकारी अधिकारियों को देने का आरोप है।
रॉयटर्स के मुताबिक ट्रम्प ने अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी को इस कानून के तहत दिए गए फैसलों की समीक्षा करने के लिए गाइडलाइन्स बनाने का निर्देश दिया है।
ट्रम्प के इस फैसले का भारतीय उद्योगपति गौतम अडाणी के मामले पर भी असर पड़ सकता है, जिन पर भारत में भारत में रिन्यूएबल एनर्जी के प्रोजेक्ट हासिल करने के लिए रिश्वत देने की प्लानिंग का आरोप है। ट्रम्प ने यह फैसला PM मोदी के अमेरिका दौरे से 2 दिन पहले लिया है।
अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट पर इस बात की जांच कर रहा है कि क्या अडानी समूह ने FCPA का उल्लंघन किया है। यह कानून अमेरिकी संस्थाओं को विदेशी अधिकारियों को रिश्वत देने से रोकता है। ट्रम्प द्वारा इस कानून को स्थिगित करने से अमेरिका में अडाणी के खिलाफ चल रही जांच में देरी हो सकती है।
अडाणी पर अरबों की धोखाधड़ी के आरोप पिछले साल अमेरिका में उद्योगपति गौतम अडाणी समेत 8 लोगों पर अरबों रुपए की धोखाधड़ी के आरोप लगे थे। आरोप पत्र के मुताबिक अडाणी की कंपनी ने भारत में रिन्यूएबल एनर्जी के प्रोजेक्ट गलत तरीके से हासिल किए। इसके लिए सरकारी अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर यानी करीब 2,029 करोड़ रुपए रिश्वत देने की योजना बनाई।
इसके अलावा आरोपियों ने अमेरिकी इन्वेस्टर्स और बैंकों से झूठ बोलकर पैसा इकट्ठा किया। यह पूरा मामला अडाणी ग्रुप की कंपनी अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और एक अन्य फर्म से जुड़ा हुआ था।