जाको रही भावना जैसी-ईश्वरीय भक्ति के लिए या योगी आदित्यनाथ के लिए ??

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*डॉ.कुमार राकेश.

भारत ही नहीं समस्त संसार में महाकुम्भ का माहौल हैं। भारत के अलावा संसार के  कोने कोने से सनातनी हिन्दू 144 वर्षो के इस महासंयोग में स्वयं को पुण्य का भागी बनने के लिए प्रयागराज पहुँच रहे हैं।26 फ़रवरी 2025 तक आयोजित 45 दिनो का ये महाआयोजन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किया जा रहा हैं.जिसके प्रमुख योगी आदित्यनाथ हैं ,अब तक करीब 63 करोड़ से ज्यादा सनातनी हिन्दू  उस ऐतिहासिक व पौराणिक स्नान का लाभ उठा चुके हैं।

महाकुम्भ के 48 तीर्थ यात्रियों  की अकाल मौतों के अलावा सब कुछ सामान्य  चलने का दावा किया जा रहा हैं।गौरतलब हैं प्रयागराज में 30 और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 18 मौतें सिर्फ कुप्रबंधन की वजह से हुयी,लेकिन दोषी लोगो के चेहरे पर शिकन तक नहीं।जिनको जाना थे ,वो चले गए,लेकिन सरकारी जांच जारी है।उन अकाल मृत्यु से ग्रसित लोगो की भावनाओ का क्या?

वैसे विश्व के इस ऐतिहासिक महाकुम्भ 2025 में  कई प्रकार की उत्तम व्यवस्था ,स्वच्छता रही हैं .कई प्रकार प्रबंध उत्तम कोटि के रहे हैं.मीडिया के सभी प्रकल्पों का भरपूर उपयोग किया गया हैं।जिसमे आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस का भी भरपूर उपयोग किया गया है।कई कोणों से योगी जी को वाहवाही भी मिल रही हैं।मिलनी भी चाहिए।

लेकिन इन तमाम बेहतर पहलुओं  के बावजूद  24 फ़रवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक ऐसा बयान दिया.जो कही से भी योगी जी जैसे विशाल व्यक्तित्व के लिए शोभनीय नहीं लगता।वो बयान योगी ने विधान सभा में  दिया,जिससे ऐसा लगता है कि अब वह हमारे भगवान  से भी बड़े हो गए हैं.उत्तर प्रदेश के विधान सभा में जब विपक्ष ने प्रयागराज महाकुम्भ में कुव्यवस्था का सवाल उठाया था ,तो योगी का जवाब था-जाको रही भावना जैसी ..इसका मतलब जिन 48 लोगों की अकाल मौतें हुयी,वो क्या था? उन मौतों के लिए सरकारी कुव्यवस्था जिम्मेदार हैं या नहीं क्या। वहां भी योगी जी उन दुखी परिवारों की भावनाओ को क्या कहेंगे? मुझे लगता हैं कि योगी जी सनातनी हिन्दूओं की  भावनाओ का  कहीं न कहीं मजाक बनाने की कोशिश कर रहे हैं।अपनी सरकार की अकर्मण्यता को ढकने के लिए हिन्दुओं के ग्रन्थ का सहारा ले  रहे हैं।

जाको रही भावना जैसीके मूल में सनातनी हिन्दुओ की भक्ति हैं.उनका मिजाज़ है. उनका समर्पण हैं।उनका प्रेम हैं ,उनका स्नेह हैं।उनका प्यार हैं।उनका प्रभु के प्रति अगाध श्रध्दा हैं,लेकिन उस भावना को योगी आदित्यनाथ स्वयं की कुव्यवस्था के लिए  उन शुभ पंक्तियों को कैसे उपयोग कर सकते हैं। क्या करना चाहिए ?ये भी एक सवाल हैं  ?

भारत में आज़ादी के पहले और बाद में सनातनी हिन्दू समाज ,मुगलों और अंग्रेजों के कुटिल राजनीति का शिकार रहा हैं।2014 के बाद देश में सनातनी हिन्दुओं के लिए एक नया माहौल बना है ,बन रहा हैं।जिससे सनातन हिन्दू विरोधियों को मिर्ची लगनी तय है।लेकिन योगी जी ,आपसे से तो ऐसी अपेक्षा नहीं थी कि आप अपने  हिन्दू समाज की ईश्वरीय भक्ति, भावनाओ और समर्पण को अपनी सरकार की भक्ति की तरफ मोड़ दे.ऐसा क्यों ? क्या आपकी सरकार में सब कुछ ठीक चल रहा हैं ? क्या भाजपा के सभी विधायक आपसे खुश हैं? क्या आप अपनी आक्रामक शैली से आम जन का कितना भला कर पा रहे हैं? मीडिया के एक वर्ग को आप कितना भी पोषित कर ले ,लेकिन सत्य को पोषित नहीं कर सकते,क्योकि भारत की सनातन संस्कृति है –सत्यमेव जयते! योगी जी आप राजनीति में रहते हुए भी सन्यासी  है। सन्यासी होना आपका स्वाभाव है ,लेकिन राजनीति और सत्ता का अपना चेहरा ,चरित्र और चाल होता है।जिसे आप भली भांति समझते हैं लेकिन उसे अपनी कथित मजबूरियों की वजह से व्यक्त नहीं कर पाते हैं।यही तो राजनीति हैं ।यही तो सत्ता हैं ।

हमारे सनातनी हिन्दू समाज को आपसे कई अपेक्षाएं हैं। हमारा सनातनी हिन्दू समाज आप पर भरोसा करता हैं .लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि आप उन्हें तरजीह ही न दे.सम्मान न दे।जब चाहे अपने मतो के लिए उपयोग कर ले।आपसे अपेक्षा हैं सनातनी हिन्दू समाज को  मूर्ख नहीं समझे,क्योकि भारतीय राजनीति में एक नयी अप-संस्कृति पनप रही हैं।जो सत्ता में आसीन हैं,वही हसीन हैं ।वही सत्य हैं ।वही सब कुछ हैं।अपने देश के राजनेता तो दिखावे के लिए भाषण देते सुने जाते हैं -जनता ही सब कुछ हैं ।जनता ही जनार्दन हैं ।जनता ही नारायण हैं .लेकिन जब ये जनता जाग जाती हैं नारायण से नृसिंह नारायण का भी रूप भी ले लेती हैं।

रही बात सुशासन व प्रबंधन की -उसके लिए आपको हमारे वैश्विक नेता और प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी से अभी बहुत कुछ सीखने की जरुरत हैं।समय समय पर मोदी जी से कुछ विशेष टिप्स लेते रहना चाहिए.क्योकि श्री मोदी ने विश्व पटल पर भारत को एक नया ,विशेष व विशाल आयाम प्रदान किया है।जिसके लिए पूरा विश्व उनके समक्ष एक प्रकार से नतमस्तक हैं।

रही बात आपके कथित सुशासन की।उस बाबत हम जैसो को आपकी नीयत पर संदेह तो नहीं हैं ,लेकिन आपके नौकरशाही पर आप जैसा भरोसा नहीं हैं।उत्तर प्रदेश के कई भाजपा नेताओ व योगी शुभ चिंतको की माने तो आपकी सरकार में कुछ राजनेता व नौकरशाही का एक वर्ग आपकी छवि व प्रभाव दोनों को विशेष तरीके से सदैव कमतर करने की कोशिश में लगा हुआ हैं। इससे जुड़े  कई ऐसे अनुभवों से हमारा  भी  सामना महाकुम्भ यात्रा के दौरान हुआ। हम  सपरिवार 6-7 फ़रवरी को महाकुम्भ स्नान के लिए प्रयागराज गए थे।दिल्ली से प्रयागराज 21 घंटे में पहुंचे थे।इस रूट के कई स्थानों पर हमारे पहल और योगी नाम की महिमा से यात्रा में कई स्थानों पर परेशानियाँ कम भी हुयी।नहीं तो-हम लोग 40-45 घंटों  में भी प्रयागराज नहीं पहुँच पाते। महाकुम्भ के बाद हमने काशी विश्वनाथ और अयोध्या में श्री राम लला जी के भी दर्शन किये,उन स्थानों पर भी कुप्रबंधन को लेकर  हम लोगों  का अनुभव कुछ ऐसा ही मिला जुला रहा।

हमारे अनुभवों के अनुसार ,यदि पुलिस व्यवस्था पूरी  तरह  सभी स्थानों पर चाक-चौबंद रहती तो ये “यातायात जाम” वाला दृश्य विश्व नहीं देखता।कहने के लिए हमारे पास बहुत कुछ हैं,योगी जी,लेकिन…..फिर भी एक मुख्य मसले पर आपका ध्यान दिलाना जरुरी समझता हूँ ।प्रयागराज के कई  घाटों पर नौका व्यवस्था में लूट मची हुयी थी।हम लोग अरैल घाट से नौका लेकर संगम त्रिवेणी तक गए  था।डिजिटल इंडिया  के इस माहौल में नगद में भाडा वसूलना और उसकी भी कोई रसीद नहीं देना।ऐसा क्यों ? हमारा मानना हैं कि नौका उपलब्ध कराए जाने के कुप्रबधन से राज्य सरकार को करोड़ो रूपये की राजस्व की हानि हुयी हैं। उसके लिए कौन जिम्मेदार हैं योगी जी? एक नौका का आने जाने का चार्ज 10 हज़ार से 30 हज़ार रूपये तक तीर्थ यात्रियों से वसूले गए।कई स्थानों पर उससे भी ज्यादा।यात्री गण मजबूर थे।सरकारी व्यवस्था शून्य और मौन।इस पर कैसी भावना रखे योगी जी ?ये तो सत्य हैं ।यथार्थ हैं।हम सभी का  झेला हुआ तथ्य।ऐसे आम जान से जुडी तथ्यों पर भी आपको अपनी भावना बतानी  चाहिए।

कहते हैं अति आत्म विश्वास और बडबोलेपन से सामने वाला का कम, स्वयं का ज्यादा नुकसान होता हैं .योगी जी ,आप तो शक्तिशाली हैं  हम तो एक निरीह पत्रकार हैं ।परन्तु  शुभचिंतक होने के नाते हमने  ये भावनाएं  व्यक्त की हैं।ये भावनाएं ,दर्द सिर्फ हमारा ही नहीं लाखों सनातन हिन्दुओं का हैं।जिन्होंने हम लोगो की तरह महाकुम्भ व अन्य स्थानों पर  झेला हैं, झेल रहे हैं, परन्तु व्यक्त नहीं कर पाते। विश्वास है कि आप हमारे इन विचारों को सकारात्मक भाव से लेंगे और संबंधित अपने विरोधियों के खिलाफ गहन छानबीन कर उचित दंडात्मक कारवाई भी करेंगे क्योकि आप  पर  हमारे सनातनी हिन्दू समाज के लिए गर्व हैं,शान हैं ,मान हैं अभिमान हैं!!

लेखक के बारे में –

*डॉ. कुमार राकेश, वरिष्ठ पत्रकार, लेखक, राजनीतिक विश्लेषक,प्रसारक और समाजसेवी  करीब 38 वर्षों से पत्रकारिता और लेखन  क्षेत्र में सतत  सक्रिय हैं। उन्होंने भारत और विदेशो के कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थाओं में  कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है।  देश में 9 टीवी न्यूज़ चैनलों की स्थापना -संचालन में  भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अपने कार्य  यात्रा  के दौरान उन्होंने 50 से अधिक देशों की यात्रा की है और विभिन्न विषयों पर रिपोर्टिंग और लेखन किया है।जिसमे कई राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री की विदेश यात्रायें  भी शामिल हैं।डॉ. राकेश को  पत्रकारिता ,मीडिया और संचार के क्षेत्र में उनके अप्रतिम योगदान के लिए  समय-समय पर भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कारों और  सम्मानों से सम्मानित  किया  गया हैं।

वर्तमान में  डॉ राकेश GLOBAL GOVERNANCE NEWS GROUP और समग्र भारत मीडिया समूह  में  संपादकीय अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं।यह समूह भारत के अलावा 20 से ज्यादा देशों में सक्रिय हैं ।संपर्क –: krakesh8@gmail.com

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