टोरंटो : वैज्ञानिकों का कहना है कि छह से 12 वर्ष तक की आयु के तीन प्रतिशत बच्चों में अवसाद की समस्या हो सकती है लेकिन माता-पिता तथा शिक्षक बच्चों में अवसाद को आसानी से नहीं पहचान पाते।
अमेरिका के मिसौरी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर कीथ हर्मन ने कहा कि जब आप शिक्षकों और माता-पिता को बच्चों में अवसाद का स्तर मापने के लिए कहते हैं तो आम तौर पर उनकी रेटिंग में 5-10 प्रतिशत का अंतर होता है।
उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर शिक्षक को यह पता हो सकता है कि बच्चे को कक्षा में दोस्त बनाने में परेशानियां आ रही हैं लेकिन शायद माता-पिता घर में इस बात पर ध्यान न दे सके हों। शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए प्राथमिक स्कूल के 643 बच्चों के प्रोफाइल का विश्लेषण किया।
उन्होंने बताया कि पढ़ाई में 30 प्रतिशत बच्चों में अवसाद का हल्के से ज्यादा अनुभव हुआ लेकिन माता-पिता और शिक्षक अक्सर बच्चों में अवसाद को पहचानने में विफल हो जाते हैं। हर्मन ने पाया कि जिन बच्चों में अवसाद के संकेत पाए गए,
उनमें अपनी उम्र के अन्य बच्चों के मुकाबले कौशल की कमी की छह गुना ज्यादा आशंका होने की बात सामने आई।अवसाद से पीड़ित बच्चों में सामाजिक और एकेडेमिक कौशल में कमी की छह गुना अधिक संभावना होती है। ऐसे बच्चों को लोगों से बातचीत और पढ़ाई में परेशानी हो सकती है।
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