सरकार द्वारा घोषित संशोधित वेतन और भत्ते इस प्रकार हैं:
-
सांसदों का वेतन: ₹1,24,000 प्रति माह (पहले ₹1,00,000)
-
दैनिक भत्ता: ₹2,500 (पहले ₹2,000)
-
पेंशन: ₹31,000 (पहले ₹25,000)
इस वेतन वृद्धि के साथ सांसदों को मिलने वाले अन्य भत्तों और सुविधाओं में भी सुधार किया गया है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पहले से अधिक मजबूत होगी।
सरकार का कहना है कि सांसदों की जिम्मेदारियों और महंगाई को देखते हुए वेतन में वृद्धि की गई है। संसद सत्र के दौरान सांसदों को लंबी बैठकें करनी पड़ती हैं, क्षेत्रीय विकास कार्यों की निगरानी करनी होती है और जनता की समस्याओं का समाधान करना होता है। इन सभी जिम्मेदारियों को देखते हुए सरकार ने वेतन और भत्तों को बढ़ाने का फैसला किया है।
हालांकि, विपक्ष ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। कई विपक्षी नेताओं का कहना है कि जब देश में महंगाई बढ़ रही है और आम जनता आर्थिक संकट का सामना कर रही है, तब सांसदों का वेतन बढ़ाना कितना उचित है? कुछ विपक्षी नेताओं ने सरकार से यह भी पूछा कि क्या इसी तरह से सरकारी कर्मचारियों और आम जनता की वेतन वृद्धि पर भी विचार किया जाएगा?
गौरतलब है कि सांसदों को वेतन के अलावा कई अन्य सुविधाएं भी मिलती हैं, जिनमें मुफ्त आवास, हवाई और रेल यात्रा, चिकित्सा सुविधा, टेलीफोन और इंटरनेट भत्ता, वाहन भत्ता शामिल हैं। ऐसे में इस वेतन वृद्धि को लेकर जनता के बीच भी मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।
सरकार के अनुसार, यह नया वेतन अगले सत्र से प्रभावी होगा। संसद की मंजूरी के बाद इसे औपचारिक रूप से लागू किया जाएगा।
सोशल मीडिया पर इस फैसले को लेकर जनता की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग इसे सांसदों के कार्यभार को देखते हुए सही मान रहे हैं, जबकि कुछ का कहना है कि सरकार को पहले आम जनता और कर्मचारियों के वेतन और महंगाई पर ध्यान देना चाहिए।
सांसदों का वेतन और भत्ते बढ़ाने का यह फैसला राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है। जहां सरकार इसे सांसदों की जिम्मेदारियों को देखते हुए एक जरूरी कदम बता रही है, वहीं विपक्ष और आम जनता इस पर सवाल उठा रही है। अब देखना होगा कि इस फैसले का क्या असर पड़ता है और क्या भविष्य में अन्य सरकारी कर्मचारियों व आम जनता के हित में भी ऐसे ही कदम उठाए जाते हैं या नहीं।