आज यह सवाल इस लिए सामने आया क्योंकि कांग्रेस जो की इस प्रदेश में ओक्सीजन पर चल रही है और उस का कारण यहाँ के सभी बडे नेताओ का आपस मे तालमेल नहीं होना और जब भी कोई मौका आया तो यह गुटबाजी खुल कर सामने आती रही है l आज यही कारण है की कांग्रेस यहाँ अपने पॉव नहीं जमा पा रही l ऐसा नहीं है की गुटबाजी सिर्फ कांग्रेस मे है यह तो बीजेपी मे भी है परन्तु वो अनुशासन मे है l
अब सवाल यह है जिस प्रदेश को लगातार कुछ सालो से कृषि कर्माण पुरस्कार मिलता हो वहाँ का किसान इतना परेशान क्यों है, परेशान है या सिर्फ वो राजनीती का सिकार हो रही है l कांग्रेस इस आन्दोलन को हवा क्यों दे रही सायद इस लिए की कांग्रेस के पास कोई मुद्दा ही नहीं रहा जो वो शिवराज सरकार को घेर सके l कुछ सालो पहले उन को व्यापम का मुद्दा मिला था परन्तु वो उस का अच्छे से उपयोग नहीं कर सकी l
अब बात कांग्रेस के सियासत की क्यों की चुनाव अगले साल है और कांग्रेस चाहती है की वो इस आन्दोलन को सपोर्ट कर के अपनी खोई ज़मीन वापिस प्राप्त करे, इस बात को राहुल गाँधी भी जानते है इस लिए वो भी इस बहती गंगा मे हाथ धोने आ गए l कोंग्रेस के सभी बड़े नेता प्रदेश मे नहीं रहते उन सब को दिल्ली से ज्यादा प्यार है l कभी भी ऐसा नहीं हुआ या हो रहा है की कोई कांग्रेस का बड़ा नेता लगातार प्रदेश मे रहे और पार्टी को मजबूत करे l कांग्रेस को यह मुद्दा मिल तो गया वो इस को हवा भी दे रही है परन्तु अभी भी एक साथ नज़र नहीं आती यहाँ जो भी किसानो का समर्थन कर रहे है वो स्थानिये नेता है अभी तक कोई भी कांग्रेस के प्रदेश के बडे नेता नहीं दीख रहे साथ आने की बात तो दूर वो अलग-अलग भी नहीं दीख रहे इस आन्दोलन को सबसे ज्यादा साथ बिधायक जीतू पटवारी देते नज़र आ रहे है l कांग्रेस इस आन्दोलन मे अपनी खोई ज़मीं खोजने का प्रयास कर तो रही है परन्तु क्या उन को मिल पायेगा क्योकि कांग्रेस साथ तो दिख नहीं रही बिखरी हुई और उन का कोई प्लान दिखता नज़र नहीं आ रहा और पूरा भरोसा है वो इस मौका को भी गवां देगी l
आने वाला चुनाव मध्य प्रदेश में कांग्रेस को अपने आप को बचाने का अंतिम प्रयास होगा और वो सभी के साथ आये बिना नहीं हो सकता और यह संभव भी नहीं दिख रहा क्योकि इन सब की आपसी लडाई मे न ही प्रदेश में प्रेसिडेनट का चुनाव हो पा रहा है और न ही पार्टी आगे जा पा रही है l
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