कांग्रेस के लिए ‘एकनाथ शिंदे’ बन सकते हैं डीके शिवकुमार? बीजेपी नेता का चौंकाने वाला दावा

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समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,1 मार्च।
कर्नाटक की राजनीति में हलचल मचाने वाला एक बड़ा बयान सामने आया है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया है कि डीके शिवकुमार कांग्रेस के लिए ‘एकनाथ शिंदे’ साबित हो सकते हैं। यह बयान कर्नाटक में सत्ता के अंदर चल रही खींचतान को लेकर दिया गया है, जहां मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच मतभेद की खबरें लगातार चर्चा में बनी हुई हैं।

क्या है पूरा मामला?

बीजेपी नेता के इस बयान के पीछे का संदर्भ महाराष्ट्र की राजनीति से जुड़ा है, जहां एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से बगावत कर बीजेपी के समर्थन से मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल ली थी। अब यही संभावनाएं कर्नाटक में भी देखी जा रही हैं, जहां डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच राजनीतिक खींचतान जगजाहिर है।

बीजेपी नेता ने कहा, “जिस तरह एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे से अलग होकर सरकार बना ली, उसी तरह डीके शिवकुमार भी कांग्रेस के लिए बड़ा संकट खड़ा कर सकते हैं।” उनका यह दावा कांग्रेस के लिए नई मुसीबत बन सकता है।

सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच तकरार

कर्नाटक में कांग्रेस सरकार बनने के बाद से ही मुख्यमंत्री पद को लेकर सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच असहमति की खबरें सामने आती रही हैं। डीके शिवकुमार को पार्टी में कर्नाटक कांग्रेस का मजबूत चेहरा माना जाता है, लेकिन मुख्यमंत्री पद सिद्धारमैया को सौंप दिया गया, जिससे उनके समर्थकों में नाराजगी देखी गई थी।

हाल ही में डीके शिवकुमार ने कहा था कि “मैंने पार्टी के लिए काफी मेहनत की है और मेरी मेहनत का सही सम्मान होना चाहिए।” उनके इस बयान को कांग्रेस के भीतर गहराते असंतोष के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

बीजेपी के लिए है क्या मौका?

अगर डीके शिवकुमार कांग्रेस से नाराज होकर अलग राह पकड़ते हैं, तो यह बीजेपी के लिए बड़ा अवसर बन सकता है। महाराष्ट्र की तरह अगर कर्नाटक में भी सत्ता परिवर्तन होता है, तो यह बीजेपी के लिए दक्षिण भारत में बड़ी उपलब्धि साबित हो सकती है।

कांग्रेस का जवाब

कांग्रेस के नेताओं ने इन अटकलों को खारिज किया है और कहा कि “हमारे बीच कोई मतभेद नहीं है। बीजेपी जानबूझकर अफवाहें फैला रही है ताकि हमारी सरकार को अस्थिर किया जा सके।”

क्या डीके शिवकुमार उठाएंगे बगावत का कदम?

फिलहाल डीके शिवकुमार ने इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन अगर पार्टी में उन्हें नजरअंदाज किया जाता रहा, तो उनकी अगली चाल कांग्रेस के लिए नई मुसीबत खड़ी कर सकती है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कर्नाटक की राजनीति में भी महाराष्ट्र जैसा कोई बड़ा राजनीतिक उलटफेर होता है या नहीं।

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