ए राजा नहीं, पीएमओ के अधिकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री से छिपाए थे तथ्य: कोर्ट

नई दिल्ली। सीबीआइ की विशेष अदालत ने सीबीआइ के इस आरोप को खारिज कर दिया कि पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से ‘पहले आओ पहले पाओ’ व ‘कट-ऑफ डेट’ समेत 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस से जुड़े अहम तथ्य छुपाए थे।

कोर्ट ने कहा कि ए राजा ने नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अधिकारी पुलक चटर्जी व टीकेए नायर ने ज्यादातर तथ्यों को पूर्व प्रधानमंत्री से छिपाया था।

पीएमओ के उच्च अधिकारियों को लेकर गंभीर टिप्पणी करते हुए सीबीआइ विशेष न्यायाधीश ओपी सैनी ने कहा कि मैं अभियोजन पक्ष की इस बात से कतई सहमत नहीं हूं कि ए राजा ने पूर्व प्रधानमंत्री को गुमराह किया या फिर तथ्यों को गलत तरीके से पेश किया।

पत्र को पढ़ने का समय नहीं

पुलक चटर्जी द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री को भेजा गया पत्र ए राजा के पत्र से काफी बड़ा था। प्रधानमंत्री व्यस्त कार्यकारी हैं और उनके पास इतने बड़े पत्र को पढ़ने का समय नहीं होता। उनके लिए ए राजा का पत्र पढ़ना ज्यादा आसान होता, बशर्ते चटर्जी द्वारा रेफर किए गए पत्र के। चटर्जी का पत्र बहुत लंबा था।

कोर्ट ने कहा कि यह भी रिकॉर्ड से स्पष्ट नहीं है कि पत्र को तत्कालीन प्रधानमंत्री ने देखा भी था या नहीं। इससे यह साफ होता है कि पीएमओ से ही किसी ने दूरसंचार विभाग को नए लाइसेंस के लिए आदेश दिया था और संभव है वह पुलक चटर्जी ही हों, जैसा कि उनके नोट रिकॉर्ड से साफ होता है कि उन्होंने दूरसंचार सचिव से बात की थी।

तथ्यों के बजाए बहस को बनया आधार

कोर्ट ने यह भी कहा कि स्पेक्ट्रम के संबंध में पीएमओ द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री को आधी जानकारी ही दी गई थी। सीबीआइ आरोपों को लेकर तथ्यों के बजाए बहस के आधार पर साबित करने में लगी रही, जोकि सही तरीका नहीं था।

 

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