रूस ने ’21वीं सदी के लिए दृष्टिकोण’ शीर्षक से जारी घोषणापत्र में कहा कि उसने एनएसजी और वासेनार व्यवस्था की सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी का स्वागत किया है और इन निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं में भारत के जल्द प्रवेश के लिए अपने मजबूत समर्थन को दोहराया। घोषणापत्र में कहा गया है कि भारत और रूस के बीच सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार को रोकने के लिए साझा प्रतिबद्धता है। रूस को विश्वास है कि बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था में भारत की भागीदारी इस प्रतिबद्धता को और मजबूत बनाएगी।
भारत और रूस के बीच परमाणु ऊर्जा, परमाणु ईंधन और परमाणु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग की अपार संभावनाएं हैं। घोषणा पत्र में कहा गया कि दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में बढ़ती साझेदारी से भारत में सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत उन्नत परमाणु विनिर्माण संयंत्रों के विकास के रास्ते खुलेंगे।
दोनों देशों ने यह भी कहा कि वे साझा सिद्धांतों के आधार पर एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एक खुले, समेकित और समेकित सुरक्षा वास्तुकला के निर्माण के प्रयासों की सुविधा जारी रखेंगे और इस क्षेत्र के सभी राज्यों के वैध हितों को ध्यान में रखेंगे।
पावर प्लांट में मदद करेगा रूस
भारत और रूस के बीच तमिलनाडु के कुडनकुलम में न्यूक्लियर पावर प्लांट की दो नई यूनिटों के लिए अग्रीमेंट लंबे इंतजार के बाद फाइनल हो गया है। रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच बातचीत के बाद सेंट पीटर्सबर्ग घोषणापत्र जारी किया गया। इसमें बताया गया कि दोनों देशों ने कुडनकुलम न्यूक्लियर पावर प्लांट की पांचवीं और छठी यूनिट के जनरल फ्रेमवर्क अग्रीमेंट फाइनल कर दिया है। परमाणु समझौते सहित दोनों देशों के बीच 5 करार हुए हैं जिनमें कल्चरल एक्सचेंज, रेलवे और जूलरी एक्सपोर्ट शामिल है।
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