पर्यावरण की सुरक्षा आज दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। भारत में, यह समस्या खतरनाक स्थिति में पहुंच चुकी है। इस समस्या से निपटने के लिए भारत प्रतिबद्ध है और अपना हर संभव प्रयास कर रहा है। हालांकि यह विश्वव्यापी समस्या है, लेकिन इससे निपटने की रणनीतियां अलग-अलग जगहों के हिसाब से भिन्न हैं।
टीवीएस मोटर कंपनी की लोक हितैषी शाखा श्रीनिवासन सर्विसिस ट्रस्ट (एसएसटी) पर्यावरण को हो रहे नुकसान को रोकने के लिए अपना विनम्र प्रयास जारी रखे हुए है। ट्रस्ट का मानना है कि इस बारे में बड़े पैमाने पर जागरुकता फैलाने की आवश्यकता है। हम अपने 5000 गांवों में लगभग रोजाना यह कार्य कर रहे हैं। हमारा अनुभव यह रहा है कि ग्रामीण भारत में जागरुकता की कमी के अलावा गरीबी भी एक मुख्य वजह है जो समुदायों को पर्यावरण स्वच्छ रखने के उपायों को अपनाने में बाधा बनती है।
हमारा अनुभव दर्शाता है कि अगर लोगों के लिए आमदनी के वैकल्पिक स्त्रोत तैयार किए जाएं और उनके परिवारों को वित्तीय सुरक्षा मिल पाए तो इस बात की संभावना है कि लोग प्राकृतिक संसाधनों को कम क्षति पहुंचाएंगे। ऐसा होने पर लोग देख पाते हैं कि पर्यावरण की सुरक्षा में उनके अपने वित्तीय लाभ भी हैं। इसलिए एसएसटी की रणनीति यह रही है कि परिवारों के लिए आय के वैकल्पिक स्त्रोत पैदा किए जाएं और साथ ही स्वच्छ पर्यावरण के संरक्षण के लिए जागरुकता उत्पन्न की जाए। इस संदर्भ में एसएसटी एक उदाहरण है जिसने 3.52 लाख से अधिक परिवारों की मासिक आमदनी में न्यूनतम 15,000 रुपए का इजाफा किया है। वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित होने से लोग पर्यावरणीय गिरावट को रोकने के लिए ज्यादा इच्छुक होते हैं। यह तथ्य गौर तलब है कि पट्टे पर और निजी भूमि पर 23.40 लाख पेड़ लगाए गए; 1,72,000 हैक्टेयर भूमि पर वनीकरण किया गया; 3,51,980 घरों में ठोस कचरा प्रबंधन तथा 3,50,915 घरों में तरल अपशिष्ट प्रबंधन का इंतजाम किया गया। किसानों को समझा कर हम अब तक 54,846 हैक्टेयर भूमि को ड्रिप इरिगेशन के अंतर्गत ला चुके हैं। इससे पानी की बहुत बचत हुई है और 17,349 हैक्टेयर ऊसर जमीन को अच्छी खेती योग्य जमीन में बदलने में कामयाबी मिली है।
इन स्कीमों को लागू करने में सरकार का समर्थन बहुमूल्य साबित हुआ है। एसएसटी में हम महसूस करते हैं कि अगर समुदाय, सरकारी संसाधन और कॉर्पोरेट एक साथ आ जाएं तो इस चुनौती से शीघ्रता से व असरदार तरीके से निपटा जा सकेगा।
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