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प्रस्तुति -डॉ. कुमार राकेश
किसी गाँव में एक धनी सेठ रहता था।उसके बंगले के पास एक गरीब मोची की छोटी सी दुकान थी। उस मोची की एक खास आदत थी कि जो जब भी जूते सिलता तो भगवान के भजन गुनगुनाता रहता था।लेकिन सेठ ने कभी उसके भजनों की तरफ ध्यान नहीं दिया ।
एक दिन सेठ व्यापार के सिलसिले में विदेश गया और घर लौटते वक्त उसकी तबियत बहुत ख़राब हो गयी । पैसे की कोई कमी तो थी नहीं सो देश विदेशों से डॉक्टर, वैद्य, हकीमों को बुलाया गया,लेकिन कोई भी सेठ की बीमारी का इलाज नहीं कर सका । अब सेठ की तबियत दिन प्रतिदिन ख़राब होती जा रही थी। वह चल फिर भी नहीं सकता था।
एक दिन वह घर में अपने बिस्तर पर लेटा था।अचानक उसके कानों में मोची के भजन गाने की आवाज सुनाई दी।आज सेठ को मोची के भजन कुछ अच्छे लग लग रहे थे।कुछ ही देर में सेठ इतना मंत्रमुग्ध हो गया कि उसे ऐसा लगा कि वह साक्षात परमात्मा से मिलन कर रहा हो। मोची के भजन,सेठ को उसकी बीमारी से दूर लेते जा रहे थे।कुछ देर के लिए सेठ भूल गया कि वह बीमार है ।उसे अपार आनंद की प्राप्ति हुई ।
कुछ दिन तक यही सिलसिला चलता रहा, अब धीरे धीरे सेठ के स्वास्थ्य में सुधार आने लगा। एक दिन उसने मोची को बुलाया और कहा – मेरी बीमारी का इलाज बड़े बड़े डॉक्टर नहीं कर पाये लेकिन तुम्हारे भजन ने मेरा स्वास्थ्य सुधार दिया ये लो 1000 रुपये इनाम, मोची खुश होते हुए पैसे लेकर चला गया ।
लेकिन उस रात मोची को बिल्कुल नींद नहीं आई वह सारी रात यही सोचता रहा कि इतने सारे पैसों को छुपा कर कहाँ रखूं और इनसे क्या क्या खरीदना है? इस ऊहापोह की वजह से वह इतना परेशान हुआ कि अगले दिन काम पर भी नहीं जा पाया। अब भजन गाना तो जैसे वह भूल ही गया था, मन में एक नई खुशी आ गई थी उस इनाम वाले पैसे की।
अब तो उसने काम पर जाना ही बंद कर दिया और धीरे धीरे उसकी दुकानदारी भी चौपट होने लगी । इधर सेठ की बीमारी फिर से बढ़ने लगी थी ।
एक दिन मोची सेठ के बंगले में आया और बोला सेठ जी आप अपने ये पैसे वापस रख लीजिये, इस धन की वजह से मेरा धंधा चौपट हो गया, मैं भजन गाना ही भूल गया। इस धन ने तो मेरा परमात्मा से नाता ही तुड़वा दिया। मोची पैसे वापस करके फिर से अपने काम में लग गया ।
ये एक कहानी मात्र नहीं है । इससे हमे सीख मिलती है कि किस तरह फ़ौरी पैसों का लालच हमको अपनों से दूर ले जाता है।हम भूल जाते हैं कि कोई ऐसी शक्ति भी है जिसने हमें बनाया है।हमे उस शक्ति को नहीं भूलना चाहिए !
इसलिए मेरा मानना है –
जो प्राप्त है-पर्याप्त है
जिसका मन -मस्त है
उसके पास -समस्त है!!
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