कैसे भड़की बहस?
ट्रंप, जो 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में एक प्रमुख उम्मीदवार हैं, ने अपने हालिया बयान में यूक्रेन की मौजूदा स्थिति को लेकर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि अगर वह राष्ट्रपति होते तो रूस-यूक्रेन युद्ध बहुत पहले खत्म हो चुका होता। उन्होंने यूक्रेन को दिए जा रहे अमेरिकी सैन्य और वित्तीय समर्थन पर भी सवाल उठाए और इसे अमेरिका के लिए एक बेकार का खर्च बताया।
जवाब में, जेलेंस्की ने ट्रंप की आलोचना करते हुए कहा कि यूक्रेन केवल अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है और ऐसे संवेदनशील समय में इस तरह की बयानबाजी उनकी सरकार के लिए बेहद नुकसानदायक है। उन्होंने ट्रंप को याद दिलाया कि अमेरिका और पश्चिमी सहयोगियों के समर्थन के बिना यूक्रेन रूस के खिलाफ खड़ा नहीं रह सकता।
रूस की खुशी का कारण
रूस इस पूरे घटनाक्रम से प्रसन्न नजर आया क्योंकि ट्रंप की बयानबाजी से यह संकेत मिला कि यदि वह फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो अमेरिका की यूक्रेन नीति बदल सकती है। यह रूस के लिए फायदेमंद हो सकता है क्योंकि इससे अमेरिका का समर्थन कम हो सकता है और यूक्रेन पर दबाव बढ़ सकता है।
रूस की सरकारी मीडिया ने ट्रंप के बयानों को जोर-शोर से उठाया और इसे पश्चिमी देशों के बीच बढ़ते मतभेद के रूप में पेश किया। रूसी विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने से अमेरिका की प्राथमिकताएं बदल सकती हैं, जिससे रूस को रणनीतिक बढ़त मिल सकती है।
यूक्रेन के लिए बढ़ती मुश्किलें
यूक्रेन पहले से ही कठिन दौर से गुजर रहा है। रूस के लगातार हमलों के बीच उसे पश्चिमी देशों से हथियारों और आर्थिक सहायता की आवश्यकता है। हालांकि, अमेरिका और यूरोप में भी अब यह बहस तेज हो गई है कि यूक्रेन को कब तक और कितनी मदद दी जाए। ट्रंप के बयानों से यूक्रेन की चिंता और बढ़ गई है क्योंकि अगर अमेरिका का समर्थन कम होता है, तो उसकी स्थिति कमजोर हो सकती है।
अमेरिका की नीति पर सवाल
अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी के कुछ धड़े पहले से ही यूक्रेन को दी जा रही सहायता पर सवाल उठा रहे थे, और ट्रंप की टिप्पणी से यह बहस और तेज हो गई है। अगर वे राष्ट्रपति चुनाव जीतते हैं, तो यह संभव है कि यूक्रेन को मिलने वाली आर्थिक और सैन्य मदद में कटौती हो सकती है।
निष्कर्ष
ट्रंप और जेलेंस्की की तीखी बहस ने वैश्विक राजनीति में हलचल मचा दी है। एक तरफ यूक्रेन को समर्थन की जरूरत है, तो दूसरी ओर अमेरिका में इसे लेकर मतभेद बढ़ रहे हैं। रूस इस पूरी स्थिति से लाभ उठाने की कोशिश कर रहा है, जिससे यूक्रेन के लिए मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि अमेरिका की नीति में क्या बदलाव होते हैं और इसका रूस-यूक्रेन युद्ध पर क्या असर पड़ता है।