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जयपुर, 22 अप्रैल | जयपुर में सोमवार को राजस्थान व्यापार एवं उद्योग महासंघ (FORTI) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “विकास केवल भावनात्मक नारों से नहीं, बल्कि ठोस योजनाओं, नवाचार और निवेश से ही संभव है।” उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका को लोकतंत्र की रीढ़ बताते हुए उनके दायित्वों और नैतिकता की महत्ता पर बल दिया।
सिविल सेवा दिवस के मौके पर आयोजित इस कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति ने कहा, “सिविल सेवक संघीय ढांचे के सच्चे संरक्षक हैं। पारदर्शिता, जवाबदेही और निष्पक्षता ही सुशासन की नींव है।” उन्होंने चेतावनी दी कि राजनीतिक नेताओं, कारोबारी हितों और अधिकारियों के बीच किसी भी तरह की ‘गठजोड़’ न केवल व्यवस्था को खोखला करती है, बल्कि संघीय ढांचे को भी खतरे में डाल देती है।
धनखड़ ने राजस्थान की सांस्कृतिक और भौगोलिक विविधताओं की सराहना करते हुए कहा कि “उदयपुर, जोधपुर और जैसलमेर जैसे शहर पर्यटन की दृष्टि से विश्व स्तरीय हैं, लेकिन अब ज़रूरत है कि इन्हें पुणे, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे शहरी मॉडल्स के अनुरूप विकसित किया जाए।”
जयपुर को वैश्विक मानकों वाला शहर बताते हुए उन्होंने अफसोस जताया कि यहां “ग्रीनफील्ड निवेश की भारी कमी है।” उन्होंने पर्यटन, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में नवाचार लाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
उपराष्ट्रपति ने कहा, “विकास भावनात्मक प्रवचनों से नहीं होता, बल्कि उसके लिए रणनीतिक योजना, शोध और निवेश ज़रूरी हैं। उद्योग जगत को चाहिए कि वे स्थानीय उत्पादों और खनिज संसाधनों में वैल्यू एडिशन पर काम करें। इसके लिए सोचने और आगे बढ़ने की ज़िम्मेदारी अब थिंक टैंक्स की है।”
धनखड़ ने राजस्थान को नवीकरणीय ऊर्जा, सेवाक्षेत्र, और शिक्षा के क्षेत्र में देश का अग्रणी राज्य बनाने की वकालत की। उन्होंने राज्य के नेतृत्व और नागरिकों से आह्वान किया कि वे “स्वयं को फिर से खोजें और एक भविष्यवादी दृष्टिकोण को अपनाएं।”
इस कार्यक्रम में राजस्थान के सहकारिता एवं नागरिक उड्डयन मंत्री गौतम कुमार डाक, FORTI के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल, मुख्य संरक्षक सुरजीराम मील सहित कई उद्योगपति, अधिकारी और गणमान्य अतिथि शामिल हुए। कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति की धर्मपत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ भी मौजूद रहीं।
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