पूज्य “सद्गुरुदेव” जी ने कहा – भूल जाएं, और क्षमा करें, इसी में परम शांति है। इसीसे आपका जीवन दिव्य बनेगा। मानवता का मोती है – क्षमा। क्षमा, मानवता और जीवन की महत्ता को समर्पित एक अप्रतिम अनुष्ठान है। क्षमा के बिना चित्त को विरल शान्ति कभी नहीं मिलती। जीवन के इस यथार्थ को वही जानता है, जो इस अनुभव से गुजरता है। क्षमा ने ही युगों-युगों से मानव-जाति को नष्ट होने से बचाया है। जो क्षमा करता है और बीती बातों को भूल जाता है, उसे ईश्वर की ओर से उपहार मिलता है। मनुष्य की श्रेष्ठता इसी में है कि वह अपनी भूलों को स्वीकार करे। जो अपराध को स्वीकार नहीं करता, वह अपराध से कभी मुक्त भी नहीं हो पाता…।
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