सत्ता बचने की महत्वाकांक्षi और इतने दिनों से किसानो की समस्या का कोई निदान नहीं करना ही किसान आन्दोलन है l अभी भी किसानो के मूल समस्या पर सरकारों का धयान नहीं है वह तो बस अपनी सत्ता बचने की राजनीत कर रही है और विपक्ष अपनी रोटी सेकने मै l किसानों के कर्ज माफी का मुद्दा हमेशा ही भारतीय राजनीति के शीर्ष पर रहा है। लगभग सभी पार्टियों ने इसको वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया है। एक ओर जहां मध्य प्रदेश में इसी मुद्दे पर पिछले दिनों बवाल मचा रहा था वहीं महाराष्ट्र ने कर्ज माफी का एलान कर राजनीति को खुद ही गरमा दिया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि महाराष्ट्र में भाजपा.शिवसेना गठबंधन की सरकार है तो मध्य प्रदेश में भाजपा की काफी समय से सरकार है। मध्य प्रदेश में पानी की समस्या के साथ.साथ किसानों का कर्ज हमेशा ही सरकार के लिए बड़ा सिरदर्द रहा है। महाराष्ट्र सरकार ने यह एलान यूपी सरकार द्वारा कर्ज माफी के एलान के बाद किया है। यूपी सरकार के इस फैसले के बाद महाराष्ट्र में इसको लेकर राजनीतिक घमासान मचा हुआ था। किसानों के कर्ज माफी को लेकर आरबीआई गवर्नर भी कई बार चिंतित होते हुए दिखाई दिए हैं। वह भी इस बात को साफ कर चुके हैं कर्ज माफी का फैसला देश हित में न होकर बेहद घातक साबित होता है। देश में विकास की रफ्तार रोकने का एक बड़ा कारण कर्ज माफी ही होता है।
क्या होती है कर्ज माफी की सच्चाई
दरअसल किसी भी राज्य सरकार के लिए किसानों का कर्ज माफ करना न सिर्फ बड़ी चुनौती है बल्कि यह सब कुछ नियमों के दायरे में रखकर ही किया जाता है। किसानों का कर्ज माफ करना राज्य के जीड़ीपी को ध्यान में रखकर ही किया जाता है। लगभग हर वर्ष राज्य सरकारों के पास इस तरह की मांग आती है और सरकार कदम उठाती है। यहां पर एक बात ध्यान में रखने वाली बात यह भी है कि किसानों का कर्ज माफ करने का अर्थ होता है कि सरकार उस कर्ज की भरपाई विभिन्न टैक्स से होने वाली आय के माध्यम से करेगी। सरकार के पास यह पैसा आपका और हमारा होता है। इसका नतीजा यह होता है कि जिस रकम को पूर्व में सरकार ने विभिन्न योजनाओं के लिए रखा है उससे अब बैंकों का कर्ज चुकाया जाएगाए लिहाजा अन्य जनहित के काम को या तो रोक दिया जाएगा या फिर उन्हें आगे के लिए टाल दिया जाएगा। इसके अलावा यह भी मुमकिन है कि सरकार अपने इस अप्रत्याशित खर्च के लिए अन्य चीजों पर भी टैक्स लगा दे। कुल मिलाकर टैक्स और कर्ज काफी का सीधा ताना.बाना किसी भी आम आदमी से जुड़ता है।
रोकने पड़ेंगे विकास और जनहित के काम
महाराष्ट्र सरकार के सामने भी यही समस्या है। महाराष्ट्र सरकार के ढाई लाख करोड के बजट में यदि 35 हजार करोड़ रुपये के बैंक कर्ज माफ कर दिए जाते हैं तो ऐसे में सरकार को अपने कई जनहित वाले काम रोकने पड़ रहे हैं। इसका जिक्र खुद महाराष्ट्र के सीमए देवेंद्र फडणवीस ने किया है। उन्होंने साफतौर पर कहा कि यदि इस समस्या से निजाद पाना है तो सरकार को खर्च कम करने के अलावा कोई और उपाय नहीं है। इतना ही नहीं राज्य और देश के विकास की रफ्तार के पहिए थाम देने वाले इस फैसले का सीधा असर रोजगार भी दिखाई देगा। खुद सीएम फडणवीस के मुताबिक राज्य सरकार करीब 30 प्रतिशत रिक्त पदों को अब नहीं भर पाएगी और नए पदों की नियुक्ति पर भी उसको रोक लगानी होगी। ऐसे में राज्य के सामने बेरोजगारी की समस्या और बढ़ जाएगी। अपने नए प्लान में उन्होंने यह भी कहा है कि अच्छे मानसून की संभावना को देखते हुए इस वर्ष सरकार के दस हजार करोड़ रुपये बच सकते हैंए जो सूखा ग्रस्त इलाकों में रिलीफ ऑपरेशन के दौरान खर्च हो जाते हैं।
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