एआईसीटीई कर रही देशभर में एक जैसा सिलेबस करने की तैयारी, अलग से ट्रेनिंग प्रोग्राम आदि का आयोजन करने की भी योजना बनाई।
देशभर के इंजीनियरिंग संस्थानों में पढ़ाया जाने वाला सिलेबस एआईसीटीई बदलने की तैयारी में है। काउंसिल संस्थानों में एक जैसा सिलेबस यानि यूनिफॉर्म सिलेबस सिस्टम लागू करने पर विचार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक मौजूदा व्यवस्था के तहत संस्थानों में पढ़ाया जाने वाला सिलेबस मांग के मुताबिक पुराना होने लगा है। ऐसे में सिलेबस को नए सिरे से तैयार करने का काम किया जाना बेहद जरूरी है, ताकि स्टूडेंट्स को बेहतर ज्ञान प्रदान करने के साथ ही उनके कौशल को निखारा जा सके। यानि अब सभी इंजीनियरिंग संस्थानों में एक जैसा सिलेबस होगा। स्टूडेंट्स को जॉब मार्केट को मौजूदा मांग के अनुसार तैयार करने के मकसद से सिलेबस में बदलाव भी किए जाएंगे। ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन(एआईसीटीई) ने इसे लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं।
फैकल्टी भी विशेष रूप से तैयार
फैकल्टी को भी विशेष रूप से तैयार किया जा रहा है। काउंसिल ने सिलेबस से अलग मौजूदा मांग के मुताबिक स्टूडेंट्स को तैयार करने के मकसद से अलग से ट्रेनिंग प्रोग्राम आदि का आयोजन करने की भी योजना बनाई है। योजना के तहत संस्थानों के स्टूडेंट्स के लिए इंटरर्नशिप पहले ही अनिवार्य कर दी है। वहीं अब इंटर्नशाला से भी करार किया गया है। ताकि स्टूडेंट्स को इंटर्नशिप के लिए एक प्लेटफॉर्म प्रदान किया जा सके। काउंसिल के इस कदम के पीछे स्टूडेंट को नियोजनीय बनाने का उद्देश्य है। इंजीनियरिंग कॉलेजों की गुणवत्ता को तब तक नहीं बढ़ाया जा सकता जब तक इसके सिलेबस की सही से डिजाइनिंग न की जाए। सूत्रों की माने तो काउंसिल द्वारा बीते दिनों आयोजित की गई मीटिंग के दौरान इसे लेकर चर्चा की गई। बैठक में इंजीनियरिंग कॉलेज के सिलेबस में संशोधन पर गंभीरता से विचार मंथन किया गया। काउंसिल इसी सत्र से ही सिलेबस में संशोधन करते हुए सभी कॉलेजों के सिलेबस में एकरूपता लाने की योजना बना रही है ताकि देश के तकनीकी संस्थानों में पढ़ाए जाने वाले सिलेबस में एकरूपता हो सके और स्टूडेंट्स की दक्षता को बढ़ाया जा सके।
प्राइवेट यूनिवर्सिटी पर कसेगी लगाम
देशभर में जितने इंजीनियरिंग के कोर्स है उसके बेसिक सब्जेक्ट लगभग समान है। एआईसीटीई चाहती है कि इंजीनियर बनाने के लिए जितने भी बेसिक सब्जेक्ट जरुरी है वह समान रहे। यह बदलाव रोजगार के क्षेत्र में अच्छा कदम है। यदि विषय की बात करें तो प्रोडक्ट डिजाइन, विलेज आउट रिच इस तरह के कई विषय है जिसे कामन रखना चाह रहे हैं। इससे शिक्षा में सुधार भी आएगा। वर्तमान में जो यूनिवर्सिटी डाउन चल रही है खासतौर पर प्राइवेट यूनिवर्सिटी पर जो अपने अनुरुप सिलेबस रखती है उस पर लगाम कसी जा सकेगी। अब यूनिवर्सिटी को मिनिमम लेवल स्टेंडर्ड मेंटेन करना होगा।
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