इंजीनियरिंग के लिए बनेगा आदर्श पाठ्यक्रम, समर इंटर्नशिन की संख्या को 75 प्रतिशत करने का प्रयास

इंजीनियरिंग के लिए बनेगा आदर्श पाठ्यक्रम, समर इंटर्नशिन की संख्या को 75 प्रतिशत करने का प्रयास
नई दिल्ली  वर्तमान में इंजीनियरिंग संस्थानों की हालात खराब होती जा रही है और स्टूडेंट इस कोर्स से दूर होते जा रहे है। ऐसे में इंजीनियरिंग कोर्स के प्रति फिर से स्टूडेंट्स को जोडऩे के लिए केंद्र सरकार नई कवायद करने में जुट गई है। देशभर के हर गली-नुक्कड़ पर फैले इंजीनियरिंग कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए एक मॉडल पाठ्यक्रम बनाया जाएगा, जिसमें जरुरत के हिसाब से बदलाव किया जाएगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इसकी कवायद भी शुरु कर दी है और आगामी दिनों में इसको लागू किया जाएगा। देश के 8409 प्राइवेट व्यावसायिक संस्थान हैं और इनमें लाखों स्टूडेंट पढ़ाई कर रहे हैं। जानकारों के अनुसार इन संस्थानों में एआईसीटीई के निर्धारित मानदंडों का पालन किया जाता है। लेकिन अब एक आदर्श पाठ्यक्रम बनाया जा रहा है, जिसे सभी कॉलेज में लागू किया जाएगा। इन कॉलेजों से परिषद के दिशा-निर्देश को मानने के बारे में शपथ पत्र लिए जा रहे हें। वहीं इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स को प्रायोगिक ज्ञान देने के लिए समर इंटर्नशिप की संख्या को बढ़ाकर 75 प्रतिशत करने की कवायद भी चल रही है।
नीट की सफलता के बाद इंजीनियरिंग के लिए भी एक प्रवेश परीक्षा की तैयारी शुरु l
नीट की सफलता के बाद अब इंजीनियरिंग के लिए भी एक प्रवेश परीक्षा की तैयारियां शुरू हो गई हैं। वर्ष 2018 से एक प्रवेश परीक्षा के लिए सरकार जल्द फैसला ले सकती है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच हाल ही में नीट 2017 परीक्षा के अनुभवों पर बैठक हुई। इसमें देशभर के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस और बीडीएस प्रोग्राम में नीट के माध्यम से एडमिशन पर विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा हुई। नीट से मिले फीडबैक के आधार पर एचआरडी अब इंजीनियरिंग कॉलेजों के लिए भी इसी तरह के कॉमन टेस्ट पर फैसला लेगा। सूत्रों के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्रालय और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया(एमसीआई) से मानव संसाधन मंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट में नीट को काफी सफल बताया गया है। इसमें कहा गया है कि नीट से मेडिकल कॉलेजों में कैपिटेशन फीस पर लगाम लगाने में सफलता मिल रही है। साथ ही पारदर्शिता भी बढ़ गई है। इस प्रवेश परीक्षा में केंद्र और राज्यों से मान्यता प्राप्त सभी इंजीनियरिंग कॉलेज जोड़े जाएंगे और नीट की तर्ज पर ही सीटों का बंटवारा होगा। नई व्यवस्था लागू होने के बाद कोई  भी यूनिवर्सिटी या कॉलेज किसी अन्य नियम के तहत एडमिशन या काउंसलिंग नहीं करवा पाएंगे। इसके लिए एआईसीटीई ही दिशा-निर्देश तय करेगी।
कमेटी देगी कॉमन एंट्रेंस पर अपना सुझाव
स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि नीट के जरिए प्रतिभावान बच्चों को चुनने में मदद मिली है। नीट के प्रयोग को काफी सफल बताया गया है। एआईसीटीई में इस संबंध में प्रस्ताव भी पास कर दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक इसके लिए एक कमेटी बनाई गई है जो कॉमन एंट्रेंस पर अपना सुझाव देगी। एक्सपर्ट विजेंद्र सोगानी ने बताया कि इंजीनियरिंग कॉलेजों में अब कैपिटेशन फीस का मुद्दा तो नहीं है, लेकिन पारदर्शिता और गुणवत्ता अहम मसला है। अगर नीट की तरह कॉमन एंट्रेंस टेस्ट होता है तो इससे पारदर्शिता आएगी। साथ ही गुणवत्ता में भी सुधार होगा। उन्होंने बताया अभी पैसों के दम पर स्टूडेंट इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन ले लेते हैं, लेकिन डिग्री लेवर वे बेरोजगार घूमते हैं तो इससे पूरे सिस्टम की छवि पर असर पड़ता है, जबकि वह खराब गुणवत्ता का नतीजा होता है।

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